(आप सबको नमस्कार, प्यार, सलाम ! साथ ही शुक्रिया... जो आपने हमें प्रोत्साहित किया और ढेर सारा प्यार दिया...उम्मीद है कि आप हमेशा ही अपने बहुमूल्य विचारो से मुझे अवगत कराते रहेंगे और साथ ही अपना स्नेह यूहीं बनाए रखेंगे। )
वो जीना चढ़ रहा था
सर पर ईंटो की छाव लिए
सीढियां थोडी ज्यादा थी
चढ़ता जा रहा था बिना कोई पड़ाव लिए
माथे का पसीना छलक कर
ठुड्डी तक आ गया था
ठुड्डी पर ठहरी वो बूँद
कोहिनूर सी लगी मुझे
जब वो टपक कर उसकी बेटी पर जा गिरी थी
बिटिया ने देखा ऊपर
मुस्कुरा कर पूँछ ही लिया
बाबा , " खाना खाने कब आओगे ?
अब छलक रहा था वात्सल्य आँखों में मोती बनकर,
ममता बरस पड़ी थी एक सीधे - सादे प्रश्न पर,
सूरज की चांदनी में स्याह पड़ा वो धुआं सा चेहरा ,
एक मासूम सी हँसी हँसा,
पाँव आगे बढा कर खनकती आवाज से बोला,
तू खेल पर कहीं दूर मत जइयो .....
जा जाकर मदद कर दे अम्मा की
अच्छा सुन ! रहने दे थक जायेगी
छाँव में बैठ जाके
बस काम निपटा के आते हैं।
मैंने नभ को निहारा, फिर धरती को..
होंठो को दांतों में दबाकर, वीरान सी आँखों में ठंडक लिए
आप ही कुछ कह गई ....
चल मान गई तेरी खुदाई....
"शुक्र है शफ़क़त -ए -वालदैन से नवाजा है तूने
वरना तेरी दुनिया में रिश्तो का कारोबार भी तो है"
सर पर ईंटो की छाव लिए
सीढियां थोडी ज्यादा थी
चढ़ता जा रहा था बिना कोई पड़ाव लिए
माथे का पसीना छलक कर
ठुड्डी तक आ गया था
ठुड्डी पर ठहरी वो बूँद
कोहिनूर सी लगी मुझे
जब वो टपक कर उसकी बेटी पर जा गिरी थी
बिटिया ने देखा ऊपर
मुस्कुरा कर पूँछ ही लिया
बाबा , " खाना खाने कब आओगे ?
अब छलक रहा था वात्सल्य आँखों में मोती बनकर,
ममता बरस पड़ी थी एक सीधे - सादे प्रश्न पर,
सूरज की चांदनी में स्याह पड़ा वो धुआं सा चेहरा ,
एक मासूम सी हँसी हँसा,
पाँव आगे बढा कर खनकती आवाज से बोला,
तू खेल पर कहीं दूर मत जइयो .....
जा जाकर मदद कर दे अम्मा की
अच्छा सुन ! रहने दे थक जायेगी
छाँव में बैठ जाके
बस काम निपटा के आते हैं।
मैंने नभ को निहारा, फिर धरती को..
होंठो को दांतों में दबाकर, वीरान सी आँखों में ठंडक लिए
आप ही कुछ कह गई ....
चल मान गई तेरी खुदाई....
"शुक्र है शफ़क़त -ए -वालदैन से नवाजा है तूने
वरना तेरी दुनिया में रिश्तो का कारोबार भी तो है"
23 comments:
ABHA JI KABITA KE MADHYAM SE AAP jo KAHNA CHAH RAHI HAI USE APNE VYAVAHRIK JIWAN MEIN UTARKAR SAMAJ SEWA MEINYOGDAN DE. ISI MEINSARTHAK HOGI AAPKI KABITA.
सुंदर रचना !!
वाह-वाह क्या कहूँ आपकी रचना के बारे मे शब्द ही नही मिल रहे है। लाजवाब रचना दिल को छू गयी।
मर्मस्पर्शी ही नहीं ...
भावभीनी भी...
इस कविता के लिए बधाई !
दिल को छू लेने वाली रचना... सच है माँ-बाबा का प्यार दुनिया के उन चंद रिश्तों में से है जो हर हाल में हमेशा एक से ही रहते हैं... गरीबी अमीरी, दूरी नज़दीकी इन सब दुनियावी चीज़ों का उनके स्नेह पर कोई असर नहीं होता.. वो हमेशा वैसे ही रहता है...
kamaal hai
सुन्दर अभिव्यक्ति
आभार
हे प्रभू यह तेरापन्थ
मुम्बई टाईगर
kya kahoon priya bas itna hi kehna hai k dil me utar gayee ye rachna jindgi se kai savaal karti hui ...........bahut khoob
सशक्त अभिव्यक्ति.. हैपी ब्लॉगिंग
बहुत ही बढिया....रोम-रोम को छू गई
लाजवाब रचना
karara lagayaa aapne gaal pe sabhi ke bahot khub abhi byakti , bahot pasand aayee aapki ye rahcnaa
badhaayee
arsh
bahut hi marmik ban padi hai yah rachna, ek sachchai ko kehti hui.
Navnit Nirav
बहुत ही प्रभावशाली और मार्मिक ! बस इन्हे कविता के शिल्प में ढालने की ज़रूरत है ।
wow!! Last two line are wonderful...very expressive and heart touching...
bahut khoobsurati se shabdo me piroyee rachna....
दिल को choo गयी आपकी रचना ......... lajawab रचना है ....
सार्थक कविता।
{ Treasurer-S, T }
Priya ji,
apkee rachna bahut achchee ..bhav bhee bahut achche hain...par ise shbd chitr kahana shayad behatar hoga ....
Poonam
प्रिया जी ,
आपका शब्द चित्र बहुत बढ़िया वषय को लेकर लिखा गया है . इसे अगर कविता के रूप में लिखें तो और अच्छा प्रभाव पड़ेगा .जानकर खुश्ही हुयी की आप बच्चो के लिए लिखना चाहती हैं .
अगर बच्चों के लिए लिखकर मेरे पास भेजें तो उसे मै फुलबगिया पर प्रकाशित कर सकता हूँ .
शुभकामनाओं के साथ.
हेमंत कुमार
akhir mein sher bahut accha daala aapne...
Bahaut achchi kavita bani hai... sach / samvedana ki commentary hai. dekhte rahiye, likhte rahiye.
बहुत सुन्दर कविता और सटीक फोटो भी.
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