Thursday, August 27, 2009

उसको देखा तो

(आप सबको नमस्कार, प्यार, सलाम ! साथ ही शुक्रिया... जो आपने हमें प्रोत्साहित किया और ढेर सारा प्यार दिया...उम्मीद है कि आप हमेशा ही अपने बहुमूल्य विचारो से मुझे अवगत कराते रहेंगे और साथ ही अपना स्नेह यूहीं बनाए रखेंगे। )


वो जीना चढ़ रहा था
सर पर ईंटो की छाव लिए
सीढियां थोडी ज्यादा थी
चढ़ता जा रहा था बिना कोई पड़ाव लिए
माथे का पसीना छलक कर
ठुड्डी तक गया था
ठुड्डी पर ठहरी वो बूँद
कोहिनूर सी लगी मुझे
जब वो टपक कर उसकी बेटी पर जा गिरी थी
बिटिया ने देखा ऊपर
मुस्कुरा कर पूँछ ही लिया



बाबा , " खाना खाने कब आओगे ?
अब छलक रहा था वात्सल्य आँखों में मोती बनकर,
ममता बरस पड़ी थी एक सीधे - सादे प्रश्न पर,
सूरज की चांदनी में स्याह पड़ा वो धुआं सा चेहरा ,
एक मासूम सी हँसी हँसा,
पाँव आगे बढा कर खनकती आवाज से बोला,
तू खेल पर कहीं दूर मत जइयो .....
जा जाकर मदद कर दे अम्मा की
अच्छा सुन ! रहने दे थक जायेगी
छाँव में बैठ जाके
बस काम निपटा के आते हैं।



मैंने नभ को निहारा, फिर धरती को..
होंठो को दांतों में दबाकर, वीरान सी आँखों में ठंडक लिए
आप ही कुछ कह गई ....
चल मान गई तेरी खुदाई....


"शुक्र है शफ़क़त - -वालदैन से नवाजा है तूने
वरना तेरी दुनिया में रिश्तो का कारोबार भी तो है"




23 comments:

सुरेन्द्र Verma said...

ABHA JI KABITA KE MADHYAM SE AAP jo KAHNA CHAH RAHI HAI USE APNE VYAVAHRIK JIWAN MEIN UTARKAR SAMAJ SEWA MEINYOGDAN DE. ISI MEINSARTHAK HOGI AAPKI KABITA.

संगीता पुरी said...

सुंदर रचना !!

Mithilesh dubey said...

वाह-वाह क्या कहूँ आपकी रचना के बारे मे शब्द ही नही मिल रहे है। लाजवाब रचना दिल को छू गयी।

Unknown said...

मर्मस्पर्शी ही नहीं ...
भावभीनी भी...
इस कविता के लिए बधाई !

richa said...

दिल को छू लेने वाली रचना... सच है माँ-बाबा का प्यार दुनिया के उन चंद रिश्तों में से है जो हर हाल में हमेशा एक से ही रहते हैं... गरीबी अमीरी, दूरी नज़दीकी इन सब दुनियावी चीज़ों का उनके स्नेह पर कोई असर नहीं होता.. वो हमेशा वैसे ही रहता है...

Vipin Behari Goyal said...

kamaal hai

हें प्रभु यह तेरापंथ said...

सुन्दर अभिव्यक्ति

आभार

हे प्रभू यह तेरापन्थ

मुम्बई टाईगर

Vandana Singh said...

kya kahoon priya bas itna hi kehna hai k dil me utar gayee ye rachna jindgi se kai savaal karti hui ...........bahut khoob

आशीष खण्डेलवाल (Ashish Khandelwal) said...

सशक्त अभिव्यक्ति.. हैपी ब्लॉगिंग

रश्मि प्रभा... said...

बहुत ही बढिया....रोम-रोम को छू गई

राजा कुमारेन्द्र सिंह सेंगर said...

लाजवाब रचना

"अर्श" said...

karara lagayaa aapne gaal pe sabhi ke bahot khub abhi byakti , bahot pasand aayee aapki ye rahcnaa
badhaayee

arsh

नवनीत नीरव said...

bahut hi marmik ban padi hai yah rachna, ek sachchai ko kehti hui.
Navnit Nirav

शरद कोकास said...

बहुत ही प्रभावशाली और मार्मिक ! बस इन्हे कविता के शिल्प में ढालने की ज़रूरत है ।

Sudhir (सुधीर) said...

wow!! Last two line are wonderful...very expressive and heart touching...

डिम्पल मल्होत्रा said...

bahut khoobsurati se shabdo me piroyee rachna....

दिगम्बर नासवा said...

दिल को choo गयी आपकी रचना ......... lajawab रचना है ....

Arshia Ali said...

सार्थक कविता।
{ Treasurer-S, T }

पूनम श्रीवास्तव said...

Priya ji,
apkee rachna bahut achchee ..bhav bhee bahut achche hain...par ise shbd chitr kahana shayad behatar hoga ....
Poonam

डा0 हेमंत कुमार ♠ Dr Hemant Kumar said...

प्रिया जी ,
आपका शब्द चित्र बहुत बढ़िया वषय को लेकर लिखा गया है . इसे अगर कविता के रूप में लिखें तो और अच्छा प्रभाव पड़ेगा .जानकर खुश्ही हुयी की आप बच्चो के लिए लिखना चाहती हैं .
अगर बच्चों के लिए लिखकर मेरे पास भेजें तो उसे मै फुलबगिया पर प्रकाशित कर सकता हूँ .
शुभकामनाओं के साथ.
हेमंत कुमार

Ambarish said...

akhir mein sher bahut accha daala aapne...

Unknown said...

Bahaut achchi kavita bani hai... sach / samvedana ki commentary hai. dekhte rahiye, likhte rahiye.

Smart Indian said...

बहुत सुन्दर कविता और सटीक फोटो भी.