कल शेल्फ से किताबें निकालते वक़्त,
चीटियों की लम्बी कतार देखी.............
चली जा रहीं थी .......
चौकन्नी, तेज़ रफ़्तार...
गंतव्य की ओर....
उनमें से कुछ ...
लुढकी, गिर पड़ी ........
गिरने वाली को ,
किसी ने न देखा..
न सहारा दिया ...
जो गिरी थी .......
उसने झट से उठ...
फिर दौड़ना शुरू किया...
हाँ ! कुछ ने बातें की ....
मुलाकाते भी की ...
फिर चल पड़ी
अपने - अपने रास्ते
ये सब देख एक ख्याल यूँ ही आ गया ................
"जिंदगी की दौड़ में,
खोने - पाने की जद्दोज़हद में ,
मिलकर बिछुड़ते ...
रिश्ते हों जैसे "
चीटियों की लम्बी कतार देखी.............
चली जा रहीं थी .......
चौकन्नी, तेज़ रफ़्तार...
गंतव्य की ओर....
उनमें से कुछ ...
लुढकी, गिर पड़ी ........
गिरने वाली को ,
किसी ने न देखा..
न सहारा दिया ...
जो गिरी थी .......
उसने झट से उठ...
फिर दौड़ना शुरू किया...
हाँ ! कुछ ने बातें की ....
मुलाकाते भी की ...
फिर चल पड़ी
अपने - अपने रास्ते
ये सब देख एक ख्याल यूँ ही आ गया ................
"जिंदगी की दौड़ में,
खोने - पाने की जद्दोज़हद में ,
मिलकर बिछुड़ते ...
रिश्ते हों जैसे "
22 comments:
zindgi ka ek sabak deti rachna
mujhe bahut pasand aayi
बहुत सुन्दर रचना एवं प्रस्तुती है । वर्तमान समाजिक रिश्तों का एक सजीव चित्रण भी है ।
भाव अच्छे हैं। वाह। लेकिन-
चींटी में है एकता होता अलग समाज।
मार रहा इन्सान ही इन्सानों को आज।।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.
बहुत खूब..क्या ख्याल आया आपको ....और क्या खूब लिखा आपने.....बहुत ही सुन्दर..आपके ब्लॉग पर आना सुखद लगता है..
बहुत सुन्दर सटीक अभिव्यक्ति है आभार्
waah priyaji waah !
bahut khoob !
cheentiyon ko dekhke ye bhi zehen me aa saktaa hai??...vaise mujhe khushi hai ki girne aur fir chal dene ko ek naye tareeke se dekha gaya aur aapke kavi hriday ne use ye roop diyaa...kavita achhi hai,par end thoda abrupt lagaa mujhe...shayad wo aur behtar ho sakta tha
chitiyon ke bare mein kaha jata hai ki unmein sath sath kaam karne ka gun paya jata hai sath hi apni kshmta se jyada bhi kam karti hai.Bahut achchhi rachna hai aapki .Bahut pasand aayi.
IN CHITION KE AAD ME AAPNE BAHOT BADI BAAT KAH DAALI HAI .... KOI NAHI DEKHTAA LUDHAKATE HUYE KO... BAS KHUD HI UTHNAA HOTAA HAI AUR FIR ZINDAGEE KE TEJ RAFTAAR DAUD ME SHAAMIL HOKAR CHALTE RAHNAA HOTAA HAI...DHERO BADHAAYEE AAPKO...
ARSH
wah Arsh! aap wahi pahuchey jahan hamara ishara tha....mere vichaar ko samjhne ka shukriya
अरे वाह !!अंत में क्या बात कह दी.....दिल खुश हो गया....इस कविता का हो गया....!!
अच्छा लिखा है आपने । भाव और विचारों की प्रभावशाली अभिव्यिक्ति रचना को सशक्त बनाती है ।
मैने अपने ब्लाग पर एक लेख लिखा है-फेल हो जाने पर खत्म नहीं हो जाती जिंदगी-समय हो तो पढें और कमेंट भी दें-
http://www.ashokvichar.blogspot.com
सुन्दर कविता
वीनस केसरी
wah priya kya baat kahi hai ..its seem truth
khyal bahut umda hai ,par ise aor behtareen banaya ja sakta tha.
Bahut sundar.
Cheenti aur aadmi men kai samaanataayen hain.
Wahaan ek raani hoti hai aur baaki naukar.
Aur Bhaarat men bhi wohi haal hai.
Cheetiyaan kaam karati rahati hain.
Aadmi bhi bas....
Bahut sundar... once again.
I really loved this one.
Unique.
"जिंदगी की दौड़ में,
खोने - पाने की जद्दोज़हद में ,
मिलकर बिछुड़ते ...
रिश्ते हों जैसे "
बहुत खूब !!
hey nice dear..
u always compare life n human with some other things??
by d way must say..
humne cheetiyon ki tarah kaam karna to seekh liya hai ..phir bhi unki tarah ekta aur sath rahna nahi seekh paaye..
प्रिया जी ,
अक्सर पशु - पक्षि, पेड़ - पौधे,जिव-जंतु हमें इसी तरह सीख देते रहते हैं पर फिर भी मानव मन कहीं न कहीं डावांडोल हो ही जाता है ....!!
दुसरे रही सम्मान की बात ...बाहर चाहे हमें कितना भी सम्मान मिले ...पर जब घर में अपने परिवार जनों से सम्मान न मिले तो वो सम्मान कितना मायने रखेगा .....!?!
बहुत खूब प्रिया जी सही तरहां से दर्शया है आपने हम आज कल की व्यस्ता मैं रिश्तों को कमजोर करते जा रहे हैं...........पास होकर भी एक अजीब सी दूरी बन गई है......अद्भुत रचना मेरी शुभकामनाये
अक्षय-मन
aap sabhi ki pratikriyaon ke liye dil se aabhari hoon....sahi kaha aap logon ne cheetiyon mein ekta hoti hain..... hum insaan ek nahi hote aur agar hue bhi to swarth mein .
Mr. anonymous.... han ise behtareen banaya ja sakta tha par kaise? agar aap ye sujhav bhi de to aabhar hoga
Aapne Chitran Bhale Hi Cheentiyon Kaa Kiyaa Ho Lekin Yah Maanaveey Rishton Ki Bhi Haqeekat Hai. Achchi Kavita Ke Liye Saadhuvaad..Likhti Rahein.
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