Friday, May 29, 2009

बादलों की नादाँ जिद



आकाश में बादलों ने तारों को ढक लिया,
लोगो ने कहा,
मौसम सुहावना हो गया,
पर किसी ने न सोचा तारों की घुटन को,


तारे बेताब, वसुंधरा की एक झलक के लिए,
पहुचे शिकायत लिए सूरज के पास,


सूरज ने समझाया,
हे बादल! सिमेट ले खुद को,
बादल बोला, इनका रूप, इनकी चमक मेरी हैं,
कैसे करुँ, बेपर्दा इनको,


सूरज ने कहा, बेपर्दिगी इनकी प्रकृति हैं,
बादल बोला , प्रकृति बदलनी होगी,


इधर धरती पर, आनंद ही आनंद है,
मौसम का मिजाज भा रहा हैं लोगो को ,
अनजान हैं यहाँ सब,
दूसरे जगत के कोहराम से,


उधर सूरज, खामोश, गुमसुम सा,
थोडा सा हैरान,
आने वाले खतरे से परेशान,
चाह कर भी न बादल सका, बादल का भविष्य,


बादल बूंदों का बोझ सह न सका,
बरस पड़ा धरती पर,
तारे बेपर्दा हुए,
और धरती की प्यास मिट गई .

मर मिटा बादल एक जिद पर तो क्या,
दोनों जहान खुश हैं, रोशन हैं,
तारे फिर टिमटिमा रहे हैं,
धरा पर फसले लहलहा रही हैं,

सच! कुछ ज़िद कितनी
"ज़रखेज़ " होती हैं।



ज़रखेज़ - fertile

25 comments:

अनिल कान्त said...

बहुत खूब लिखा है आपने
वाह

रश्मि प्रभा... said...

haan kuch zidd zarkhej hoti hai....

श्यामल सुमन said...

मौसम सुहावना हो गया
पर किसी ने न सोचा तारों की घुटन को।

अच्छे भाव हैं इन पंक्तियों के।

सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.com

vandana gupta said...

shandar........adbhut

एक स्वतन्त्र नागरिक said...

सुन्दर सुकोमल भावनाओं को बड़ी सहजता से पिरोया गया है पर यह रचना गद्य अथवा पद्य में परिवर्तित होती रही है. अगर अन्यथा न लें तो इतना कहना चाहूँगा कि अगर छंदमुक्त या मुक्तछंद रचनाओं कि विशिष्ट शैलियों का अध्ययन कर लें तो इन रचनाओं में निखार आ जायेगा. अभ्यास से ही कवि कि लेखनी परिमार्जित और सशक्त होती है. लेखन हेतु शुभकामनाएं.

Udan Tashtari said...

मर मिटा बादल एक जिद पर तो क्या,
दोनों जहान खुश हैं, रोशन हैं,
तारे फिर टिमटिमा रहे हैं,
धरा पर फसले लहलहा रही हैं,

सच! कुछ ज़िद कितनी ज़रखेज़ होती हैं।


--बहुत उम्दा!!

Unknown said...

zid vakai zarkhez hoti hai priyaji,iseeliye toh ek bhale shayar ne kaha hai :
AZAL KO HAI AJAL SE ZID JAHAN BIJLI GIRANE KI <>TAMANNA HAMNE KAR LI HAI VAHIN PAR GHAR BANANE KI
aapki kavita aapke vicharon ki bhanti atyant maasoom aur pyari hai MERI BADHAIYAN SWEEKAR KAREN

अजय कुमार झा said...

jitnaa sundar aapkaa blog hai...utnee hee sundar lekhaanee aur aapkee alag soch...kul milaa kar main behad prabhaavit huaa...ab aataa rahunga...

Divine India said...

अच्छे भाव बिखेरे हैं आपने…
पढ़कर सुकून मिला…

Sajal Ehsaas said...

woww...imagination is too good types....itni in depth soch... :)

I would really appreciate if you could have a look at my compositions and share a piece of ur mind on them

www.pyasasajal.blogspot.com

!!अक्षय-मन!! said...

वाह ! वाह ! क्या रचना है क्या मर्म है आपके शब्दों में....
बहुत उम्दाबहुत खूब......
अच्छा लगा आपको पढ़कर..........
शुभकामनाये

Vandana Singh said...

baut hi lajavab ...har baar kuch hat kar hota hai yahi sabse acchi baat hai.......pictures r too good

"अर्श" said...

PRIYAA JI BAHOT HI SAADAGI SE AAPNE TAARO KE JAJBAAT KO LIKHAA HAI MAGAR JID BAADALON KEE JARKHEJ HOTI HAI .. SAHI ME TAARO KE CHAMAK UNKI HOTI HAI AUR KUCHH BATEN BE-PARDAA HONI NAHI CHAHIYE .... BAHOT HI KOMALATAA SE AAPNE BAATEN KAHI HAI BAHOT PASAND AAYEE AAPKI YE KAVITAA... DHERO BADHAAYEE AAPKO....



ARSH

नवनीत नीरव said...

kuchh pantiyon ke bhav to bade hi spst hain.Kaphi achchha likha hai aapne.
मौसम सुहावना हो गया
पर किसी ने न सोचा तारों की घुटन को।
Navnit Nirav

Vinay said...

अनूठी रचना

Dr. Amarjeet Kaunke said...

kush jid kitni jarkhez hoti hai.....kamaal hai.....bahut pyari kavita k liye mubark...amarjeet kaunke

हरकीरत ' हीर' said...

सच कहा आपने .....कुछ जिद कितनी उर्वर होती है ...अच्छी रचना ...!

कुछ टंकण की गलतियां हैं ठीक कर लें ...!!

निर्झर'नीर said...

laajavab,rachna ke sandarbh mein to pahle hi bahot kuch likha ja chuka hai ..bandhaii ho khoobsurat rachna ke liye

सवाल साहिल तक पहुचने की कशमकश का नहीं, जवाब ज़माने कि बेख्याली और बदगुमानी का हैं"

aapne jo apne bare mai ye pankti likhi hai ..kashish hai ismein ..lekin biich mein ye shabd "javab" vaky ki sampoornta ko bharamak bana raha hai ya meri soch or samajh se bahot uppar ho gaya hai.
javab shabd ki jagah bhi saval shabd hona chahiye ya yahan javab shabd ke bina bhi vaky poora hai .

aapke bhav or lekhan prabhavit karta hai isliye ye sab likh diya anytha aisa nahi likhta..
neerakela@gmail.com

Sajal Ehsaas said...

aaj main apne 2 dosto ke saath baithaa aur zordaar baarish ho rahi thi baahar...jise dekh wo log aanandit ho arhe they...anaayas mere mooh se niklaa... :

इस मूसलाधार बारिश को देख कैसा मज़ा आ रहा है तुमको,
तुम क्या जानो अभी अभी एक बादल का खून हुआ है :)

isk achanak kahee gayi pankti ke peeche aapki kavita hi meree prerna thi...this poem really impressed me a lot...among the better ones that I have read !!

आशुतोष कुमार सिंह said...

सच में जिद महान होता है. पर गर वह परोपकारी हो.गर स्वचारी हो तब तो किसी न किसी की बरबादी निश्चित है. शायद खुद की भी. आपके ख्याल सच में दिलों पर राज़ करने वाले हैं.
आशुतोष कुमार सिंह,दिल्ली
09891798609

रावेंद्रकुमार रवि said...

प्रकृति के हरकारों का सुंदर संवाद!

SAHITYIKA said...

hey really nice imagination..
me too love to imagine.. bt never got this point in my imagination..
keep going..

Dr. Zakir Ali Rajnish said...

बहुत ही खूबसूरत रचना। बधाई।
-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }

ओम आर्य said...

आपने कितनी सही बात कर दी है कि तारो की घुटन शायद आज तलक किसी ने न जाना था पर आप बहुत सम्वेदनशील है जो उन तारो की घुटन को मह्सूस किया......अति सुन्दर रचना

vijay kumar sappatti said...

aaj aapki saari kavitayen padhi .. aap bahut accha likhti hai .saari kavitao me bhaavo ki abhivyakti bahut hi shaandar tareeke se ho rahi hai ...shabdo ka asar dil me gahre utar jaata hai..is kavita me aapne prakruti ke drushayon ko kitne asardaar tareeke se darshaya hai ...

aapko badhai ...

meri nayi poem " tera chale jaana " par apni bahumulay rai dijiyenga ..
http://poemsofvijay.blogspot.com/2009/05/blog-post_18.html


aabhar

vijay