Tuesday, May 5, 2009

एक परिंदे की कहानी



मेरे घर के आगन में, परिंदे रोज आते हैं,
ची-ची करते, फुदकते, दाने चुगते ,
कटोरे का पानी पीते, और फिर उड़ जाते,

वो कलरव, वो अठखेलिया, वो मनोरम द्रश्य,
दिल को भाते .......
और मेरे तनाव उनकी परवाज़ में उड़ जाते ,

एक दिन, एक चिया ज्यादा हिम्मत दिखा गई,
आँगन से उड़, कमरे तक आ गई,
पंखे से टकरा कर, पंख कटा गई,






और मेरी आह! निकल गई ,
दौड़ कर उसके नन्हे मखमली बदन को उठाया मैंने ,
जीवन रक्षा के लिए पानी मंगाया मैंने






इससे पहले कि पानी पिलाने की कोशिश करती,
जिंदगी रूठ गई, मेरे हाथ से पानी की कटोरी छूट गई,
अब आँगन की चिडियों का कलरव भेद रहा था दिल को ..


इन्ही हाथो ने कब्र खोदी थी उसके लिए
फिर उसको पत्ते पर लिटा कर ,
उसके जनाजे को फूलों से सजाया था मैंने,







एक नाकाम कोशिश कि थी जीवन देने कि उसको,
आँखों की नमी, बूँद बनकर गिर पड़ी, उस नन्हे मृत शरीर पर
और वो सदा के लिए दफ़न हो गई ,

उसको दफ़न कर पूरे दिन बिस्तर पर पड़ी रही ,
मै कितनी बेबस , कितनी लाचार,
मौत को जीत न सकी .........

आज उसकी कब्र पर एक दरख्त हैं,
उस दरख्त पर फूल खिलते हैं,
परिंदे आकर कलरव करते हैं ,




भवरे, तितलिया, मंडरा लेते हैं उन फूलों पर
शबनम पत्तियों की प्यास बुझा देती हैं
खुश हूँ मै बहुत .....

जिंदगी फिर मुस्कुरा रही हैं.................

16 comments:

अनिल कान्त said...

Ultimate ...Superb !!
marmsparshi ...aap bahut bahut achchha likhti hain

मेरी कलम - मेरी अभिव्यक्ति

Unknown said...

real poem.......so nise poem

richa said...

बहुत सुंदर प्रिया... आत्मा को छू लेने वाली कृति... ज़िन्दगी का सारा सार समेट दिया है चंद पंक्तियों में... सच है तमाम निराशाओं और नाकामियों के बावजूद ज़िन्दगी खूबसूरत है...

हरकीरत ' हीर' said...

bahut khoob....!!

Priya ji,

Aapne chitron ke madhyam se jis prakar apne mnobhavon ko ukera hai bahut hi srahniy lga ....aapke komal aur samvedanshil hriday ko ingit karti kavita ....!1

Hari Joshi said...

यही जिंदगी का संपूर्ण दर्शन है। इस सर्कस का शो कभी नहीं रुकता। संवेदनाओं के स्‍तर पर बेहद सशक्‍त रचना के लिए बधाई।

Sajal Ehsaas said...

bilkul sachee ghatna lag rahi hai ye sabse badi khaasiyat hai

प्रिया said...

aap sabhi ne hamhe saraha uska shukriya... par kuch kamiyan bhi bataiye to baat banee.... aur han Sajal ji.... ye ghatna sachchi hi hain

जयंत - समर शेष said...

Waah...

This was really ultimate.. Like Anil said.

Thanks,
~Jayant

नवनीत नीरव said...

bahut khoob.
chaliye isi bahne jindagi ke ek darshan se prichit to hua....bahut hi achchhi rachana hai.
agali rachana ke intajar mein
Navnit Nirav

Vandana Singh said...

bahut hi khoob priya .i hav no compliment on it .sach kahoon to.......bas dil ke kisi kone me basi hui ek bachpan ki yad ko jinda kar gayee ...........

रश्मि प्रभा... said...

बहुत ही प्यारी,बचपन को ताजा करती रचना है और एक मासूम दर्द है.......

रवीन्द्र दास said...

adbhut rishta, samvedanshil abhivyakti.

Tripti said...

Dear Priya,
Very touching poem.

Thanks for dropping by to my blog and writing all good words.

Hopefully my life will also smile soon like the happy ending of you poem.Just trying for the same.

Vinay said...

आपने तो मुझे मंत्र-मुग्ध कर लिया है

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चाँद, बादल और शाम

BAL SAJAG said...

भावनाएं जब सही अर्थो में शब्द लेती है तो रचनाये दिल को छू लेती है.... जब दिल में प्रेम हो तो भावनाओं के समुन्दर से शब्द रुपी मोती बरसते ही है .......... यूं ही बरसाते रहिये और जिंदगी के साथ मुस्कराते रहिये ....आमीन ...

डॉ. मनोज मिश्र said...

sundar -masum sa sach.