Wednesday, December 22, 2010

उम्र

ये ना कहना कभी
के मैंने तुम्हे
तन्हा छोड़ा

याद है साथ चलते चलते
राह में अक्सर
मैं रुक जाया करता था
तो
तुम नाराज़ हो जाए करती थी


हर कदम पर मैने
ना जाने कितनी नज्में बोई हैं
हर नज़्म हाथ थामेगी


कुछ डेलिकेट हैं
कुछ गबरू ज़वान सी
कुछ शज़र का रूप ले चुकी होंगी अब तक
कुछ नज्में उम्मीद से भी हो शायद


ये माथे पर शिकन और लबों पे मुस्कुराहट
बात पूरी होने दो
फिर पोज़ देना


दरअसल वो नज्में नही है
जीरोक्स करके रखी है उम्र मैने

ज़ज़्बातों को छोड़ो
प्रॅक्टिकली सोचो
तो अब इस से ज़्यादा
मै
क्या दे सकता हूँ तुम्हे?


रोना मत
तुम्हारे आंसुओं से
ये चायनीज़ प्लांट भी नही फलने वाला


जानती नही क्या
आंसुओं में सॉल्ट होता है
औ मिट्टी में नमक हो तो प्लांट
मुरझा जाता है

हमारे रिश्ते में नमक ज़्यादा था शायद

चाय में चीनी कितनी लोगी ?
ओह! तुम तो विदाउट शुगर लेती हो

31 comments:

Vandana Singh said...

u killing me yaar ..soch rhi hoon kya kahoon ..:)

Vinay Kumar Vaidya said...

ओह ! प्रियाजी !!
मैं नहीं सोचता कि आपकी इतनी खूबसूरत कोई नज़्म (या कविता)
इससे पहले मैंने पढ़ी हो । शायद इसे बहुत बार पढ़ूँगा, आगे भी ।
नज़्में उम्मीद से हों, इससे बढ़कर और क्या हो सकता है !!!
सादर,

Vinay Kumar Vaidya said...

....And 'sharing' on facebook !
Thanks.
-vinay.

vijay kumar sappatti said...

just speechless priya..shabd nahi hai tareef ke

सुरेन्द्र "मुल्हिद" said...

teekhi rachna ;-)

keep up the great work Priya Ji.

संजय कुमार चौरसिया said...

behtreen rachna

richa said...

व्यावहारिकता... अनुभाव... भावनाओं... जज़्बातों का बेहतरीन कॉकटेल... खट्टा भी... मीठा भी... तीखा भी !!

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

नमक की अधिकता ..रिश्तों को भी मुरझा देती है ..बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति

डॉ .अनुराग said...

भूलकर तुझको पशेमां हूँ बहुत मै
लोग कहते है बहुत अच्छा किया है -शहरयार

रश्मि प्रभा... said...

हर कदम पर न जाने कितनी नज्में बोई हैं
नमक गहरा है
नज्में बातें करती हैं

सागर said...

डॉ. साब आज हर जगह शहरयार को चिपका रहे हैं, एक मैं भी -

"तुझको रुसवा ना किया, खुद पशेमां हुए,
इश्क को रस्म को इस तरह निभाया हमने "

सदा said...

बहुत ही सुन्‍दर भावमय करते शब्‍द ...बेहतरीन ।

संजय भास्‍कर said...

काफी सुन्दर शब्दों का प्रयोग किया है आपने अपनी कविताओ में सुन्दर अति सुन्दर
बहुत दिनों बाद आपके ब्लॉग पार आना हुआ
बहुत देर से पहुँच पाया ....माफी चाहता हूँ..

रचना दीक्षित said...

वाह!!!!! जी आज तो कमाल ही हो गया. लाजवाब!!!! नमक ही नमक है. नमक की अधिकता तो जान ही ले लेती है. अपनी नज्मों को सहेज कर रखें ये फलती फूलती रहेंगी.

Manish Kumar said...

kuch delicate
kuch gabru
.......
kuch nazmein umeed se hon shayad

Wah behtareen laga ye khayal

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

चर्चा मंच के साप्ताहिक काव्य मंच पर आपकी रचना कल मंगलवार 28 -12 -2010
को ली गयी है ..नीचे दिए लिंक पर कृपया अपनी प्रतिक्रिया दे कर अपने सुझावों से अवगत कराएँ ...शुक्रिया ..


http://charchamanch.uchcharan.com/

mridula pradhan said...

kahan se laye itne sunder bhaw ki kuch bol hi nahin pa rahi hoon.

उपेन्द्र नाथ said...

प्रिया जी गहरे जज्बातों से भारी हुई सुंदर कविता .......... बहुत ही भावपूर्ण
फर्स्ट टेक ऑफ ओवर सुनामी : एक सच्चे हीरो की कहानी
रमिया काकी

rajesh singh kshatri said...

Bahut Khubsurat.

Kailash Sharma said...

बहुत मर्मस्पर्शी प्रस्तुति..निशब्द कर दिया...बहुत सुन्दर

vandana gupta said...

ओह! क्या कहूँ निशब्द कर दिया।

Dorothy said...

भावपूर्ण खू्बसू्रत अभिव्यक्ति. आभार.
सादर,
डोरोथी.

वाणी गीत said...

ज्यादा नमक रिश्तों को मुरझा देता है ...
वाकई !
रचनात्मक अभिव्यक्ति ...!

अनामिका की सदायें ...... said...

namak ki ahmiyat bata di.
maarmik rachna.

Rajendra Swarnkar : राजेन्द्र स्वर्णकार said...

प्रिया जी
नमस्कार !

एक कविता में इतनी अनुभूतियां ! इतने भाव !

दरअसल वो नज्में नहीं है
जीरोक्स करके रखी है उम्र मैंने


क्या अंदाज़े-सुख़न है … वाऽऽह !
आपकी लेखनी से और भी श्रेष्ठ सृजन होता रहे … भावों को अभिव्यक्ति मिलती रहे …

~*~नव वर्ष २०११ के लिए हार्दिक मंगलकामनाएं !~*~

शुभकामनाओं सहित
- राजेन्द्र स्वर्णकार

Anonymous said...

kadam kadam par nazmen ...
nazmen nahin umar hain..
(mitti) rishton me salt..
...without sugar
read it many times....
--is bahut sundar rachna ke liye
naye varsh ki shubhkanaon ke saath
dhanywaad--

amar jeet said...

अच्छी रचना
आपको नव वर्ष की बहुत बहुत बधाई हो

Dr. Zakir Ali Rajnish said...

प्रिया जी, आपकी नमकीन कविता पढ कर मजा आ गया। हार्दिक बधाई।

---------
पति को वश में करने का उपाय।
मासिक धर्म और उससे जुड़ी अवधारणाएं।

विशाल said...

अरे बाप रे ,इतना सटीक .पचाना मुश्किल है.पर आपकी सभी पोस्ट पढनी पड़ेगी.अफ़सोस! इतनी देर बाद ब्लॉगर क्यों बना.आपकी कलम को शुभ कामनाएं

डॉ .अनुराग said...

कुछ डेलिकेट हैं
कुछ गबरू ज़वान सी
कुछ शज़र का रूप ले चुकी होंगी अब तक
कुछ नज्में उम्मीद से भी हो शायद

aaj dobara padhne aaya.....man kiya inhe chura lun....

amit kumar said...

प्रिय जी आपने कविता लिखी है या अनुभूतियों का खजाना खोल दिया है ? अदभुत व मर्मस्पर्शी अभिव्यक्ति