Sunday, May 24, 2009
जिंदगी मैंने तुझे कुछ यू थाम रखा हैं
जिंदगी मैंने तुझे कुछ यू थाम रखा हैं,
जैसे आँखों में काजल पाल रखा हैं।
तूने जीने के नए मायने दिए,
मैंने उन मायनो में खुद को बाँध रखा हैं।
जरा हौले से बदलना वक़्त का रुख,
मेरे हमसफ़र तेरा ख्याल अच्छा हैं।
मौसम बदलते रहे तमाम उम्र,
किसी ने न पुछा मिजाज़ कैसा हैं।
जिंदगी आखिरी दम पे दौड़ा मैं बहुत तेज़,
फतह के पड़ाव पे तजुर्बे का काम अच्छा हैं।
इस तजुर्बे ने बदल दी हैं फितरत मेरी,
मेरी सादगी में सियासत का रंग पक्का हैं।
अब मैं वो न रहा जो मैं था,
ईमारत के कंगूरे पे लिखा नाम झूठा हैं।
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20 comments:
jaise aankhon me kajal paal rakha hai
ACHHI RACHNA
badhai!!!!!!!!!!
lekhani se aapne apna rishta kuchh is tarha ban rakha hai....
manon kisi ne aasman par apna naam likhna than rakha hai.....
Bahut achchhi kavita likhi hai aapne.
Navnit Nirav
jahan aapne likha hai... is tajurbe ne badal di hai....lagta hai koi meri taraf se bol raha ho. kya bat hai!!!! jabardast.
bahut hi sundar rachna.
Very Nice, Priya Ji, Humari duayaien aapke sath hain, magar please mera bloga bhi padhein.
www.taarkeshwargiri.blogspot.com
waw priya acchi lagi ye kasmakash ..se bhari rachna
बहुत ख़ूबसूरत एहसास...
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चाँद, बादल और शाम
achhi abhivyakti hai shubhkamnayen
bahut pyara andaaj hai .....khoobsurat
कोशिश अच्छी है मगर संपादन दरकार।
बुरा न माने सोच लें फिर से करें विचार।।
जैसे
जिन्दगी तुझे मैंने कुछ यूँ थाम रखा है।
मैखाने में जैसे कोई हाथों में जाम रखा है।।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.com
प्रिया जी
एक खूबसूरत रचना पढ़वा दी आज आपने....
कुछ पंक्तियाँ विशेष रूप से प्रभावित करती है....
तूने जीने के नए मायने दिए,
मैंने उन मायनों को बांध रखा है....
जिंदगी आखिरी दम पे दौड़ा मै बहुत तेज,
फतह के पड़ाव पे तजुर्बे का काम अच्छा है....
मुझे आपकी रचना गजल टाइप की लगी
मगर इतनी अच्छी गजल पढने में लय की कमी खल रही है क्योकी गजल बहर में नहीं है
गजल व बहर के विषय में कोई भी जानकारी चाहिए हो तो सुबीर जी के ब्लॉग पर जाइये
www.subeerin.blogspot.com
इसे पाने के लिए आप इस पते पर क्लिक कर आप यहाँ जा कर पुरानी पोस्ट पढिये
वीनस केसरी
बहुत सुंदर रचना है ..
थाम रखा हैं नहीं है
पाल रखा हैं नहीं है
बहुत सुंदर... विशेष रूप से निम्न पंक्तिया
जरा हौले से बदलना वक्त का रुख
मेरे हमसफ़र तेरा ख्याल अच्छा हैं
"मायने" ने कई मायने समझाये!!
बहुत सुन्दर.
~जयंत
जरा हौले से बदलना वक्त का रुख
मेरे हमसफ़र तेरा ख्याल अच्छा हैं
--बेहतरीन!!
बहुत सुंदर एहसास...
सुंदर कविता.....लिखती रहिये....
साभार
हमसफ़र यादों का.......
bahut khoob..
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