Monday, April 27, 2009

एक गुफ्तगू भगवान् जी के साथ





यदि परमपिता पर भरोसा हैं, और आप उसके असतित्व को स्वीकारते है , तो ये फरियाद आपके दिलों पर दस्तक जरूर देगी । और कुछ पल के लिए ही सही, इसी बहाने आप भगवान् जी को याद करेगे । फिर देर किस बात की , शामिल हो जाइये, मेरे साथ इस अनोखी गुफ्तगू में।


रोज़ आती हूँ दर पे तेरे हाज़िरी लगाने,
देखते तो रोज़ हो मुझको,
जब मैं मंदिर की सीढ़ियाँ चढ़ते हुए
एक नज़र देखकर तुमको, आख़िरी सीढ़ी को झुककर चूमती हूँ,
नज़रे मिलती हैं तुमसे,

एक नज़र मैं तुम्हे देखती हूँ, और तुम मुझे,
जानती हूँ, रोज करते हो मेरे आने का इंतज़ार,
सच बोलूं तो मेरे अंदर भी तुमसे मिलने की ख्वाहिश रहती.
नही आती तो लगता हैं कुछ अधूरा रह गया ,


जो भी माँगा हैं, चाहा हैं,
थोडी से देर से ही सही , और कभी -कभी तो तुंरत,
सबकुछ दिया हैं तुमने ,
मैने भी जलाए हैं दिए बदले में,......





पर इस बार देर कर रहे हो ......
समझदार को नासमझी अच्छी नहीं लगती ,
वैसे ही, जैसे नास्तिक को पूजा सच्ची नहीं लगती,

एक बात और ......
मेरा इम्तहान लेने के बारे में सोचना भी मत ....
रोज़ लेती हैं जिंदगी ऐसे इम्तहान,
कभी पास होती हूँ , तो कभी फ़ेल....




मेरे सब्र की इन्तहा मत होने देना ...
बीच राह में ऊँगली पकड़कर सही दिशा का इशारा जो कर तो एक बार,
ख़त्म होते विश्वास को सहारा मिल जाएगा ,
या यूं कह लो मांजी को किनारा मिल जाएगा,

तुमको भी तो भक्त दोबारा मिल जाएगा,
चुप क्यों हो ? कुछ बोलते क्यों नहीं ?
सोचते हो ........ सौदा कर रही हूँ..
उहूं ...क्या करूँ ? तजुर्बा ले रही हूँ

तुम्हारे साथ भी जिंदगी का ...........................

9 comments:

Vandana Singh said...

bahut khoob guftgoo hai ....har roj mare man ke duar se bhi hokar inke duar tak jati hai .....

श्यामल सुमन said...

भली है पूजा आपकी अच्छा है विश्वास।
और तजुर्बे के लिए है ईश्वर से आस।।

सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.com

Anonymous said...

vaah vaah ya excelent jaisa koi ward poora nahi parta hai sach mano apmaan lagega in masoom khayaalo ka in sacchi si pyari si baaton ka agar mai keval tareef janak shabd likhoon tumhari is kavita ke lie..
is liye itna hi kahoongi ki ye sacche man ke udgaar hain jo tumne pyare se akshron me piroe hain man ko choo liya hai sach me
NILIMA

कनिष्क कश्यप said...

welcome to the world of bloggers. Its great experience to go through sophisticated thoughts , you expressed.....

gar kahun to..
koi sade sune safe pe, do labz ugane jaisa tha
kuchh bhuli bisri hasratein thi unhe lori sunanae jaisa tha....
You are requested to contribute with your say on

http://kabirakhadabazarmein.blogspot.com/

There is lot more to reveal
Thanks and Regards
Kanishka Kashyap

Content Head
www.swarajtv.com

रंजू भाटिया said...

बहुत खूब ....ईश्वर से बात चीत

अविनाश वाचस्पति said...

तजुर्बे का तर्जुमा
अच्‍छा लगा

मन का नेक भाव

सच्‍चा लगा।

हरकीरत ' हीर' said...

प्रिया जी,

अच्छा लिख रहीं हैं आप....जो लिखा दिल से और बखूबी लिखा ....!!

BrijmohanShrivastava said...

बिटिया /बहुत सुंदर रचना ,बल्कि कहो प्रार्थना /जिसमे अंतिम पद में तो धर्म का निचोड़ दे दिया कि सही दिशा में इशारा कर दोगे तो ख़त्म होती आस्था को सहारा मिल जायेगा और माझी को किनारा मिल जायेगा / मैंने तो एक जगह कमेन्ट पढ़ा था जिसमे तुमने लिखा था कि +बहुत ज्यादा समझ नहीं है कविताओं की "मगर यहाँ आकर ऐसा लगा जैसा गोस्वामी जी ने कहा था "कवि न होऊ नहीं चतुर कहावहु /""यह तुम्हारा बड़प्पन है /

नवनीत नीरव said...

yah jaroori nahi ki har prarthana ke badale hum kuchh na kuchh bhgwan se prapt krarein. Kabhi kabhi hi aisa ho pata hai ki jo ham mangte hain wo aasani se mil jata hai.Yadi koi chij turan nahi mil pati ho to ho sakta hai ki ismein kuchh aur achchha hone ki sambhavna ho.
Bahut achchhi rachana hai aapki. Badhai.
Navnit Nirav