"पानी के खतरों से वाकिफ हूँ मैं मगर , जीने के लिए रोज़ समंदर तेरे पास आना पड़ता हैं . हालाँकि मेरा वतन हैं तुझसे बड़ा मगर चंद मछलियों के लिए तुझसे हाथ मिलाना पड़ता हैं "।
"मौका मिले कभी तो आ जाना मेरे घर ....ले आना कुछ मछलियाँ तोहफे में मेरे लिए खाली न भेजूगा तुझे अपने दर से मैं ...मिल बैठ कर कर लेंगे कोई सौदा एक -दूजे से हम "।
ऐ !
समंदर तुझे गुमा हैं अपने कद पर , मुझको देख नन्हा सा परिंदा हूँ .. तेरे ऊपर से गुज़र जाता हूँ।
7 comments:
waah ...ultimate ...superb ...kya khoon likha hai aapne ...tareef ke liye shabd kam hain
शब्दों के संयोग संग अच्छी है तस्वीर।
सौदे की तकरीर से खूब चलाया तीर।।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
मुश्किलों से भागने की अपनी फितरत है नहीं।
कोशिशें गर दिल से हो तो जल उठेगी खुद शमां।।
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.com
priya in panktiyo me to tumne sachmuch gagar me sagar bhar diya bahut hi badhiya ......
इसे कहते हैं खुद पर भरोसा......दाद देती हूँ इन तेजस्वी भावों के लिए.......
achhi tasvir
chand machliyon ki jagah koi aor ward hona chahiye
like pet ki bhookh ke lie ya jine ke lie ..
neelima
चित्र और भावों का
बेहतरीन संयोजन
भाता है अपने मन।
Post a Comment