तुम्हारे गीतों और मेरी नज्मों
के बीच कुछ चल रहा है
वो बज़्म याद है
जब तुम्हारे गीत के साथ
उस शब् नज़्म ने जुगलबंदी की थी
हया झलक रही थी आँखों से
गीत बेशर्मी पे अमादा
संस्कार नहीं सिखाये तुमने !
एक ग़ज़ल ने कहा है मुझसे
भरे भवन में आँखों से बात होती है
मुलाकाते, बातें तय होती हैं
मै दोनों के रिश्ते की बात करने आई हूँ
अगली लग्न में ब्याह करा देते है
मोहल्ले में काना-फूसी और नैन मटक्का बंद :-)
माय री! सदके जाऊं मै
के बीच कुछ चल रहा है
वो बज़्म याद है
जब तुम्हारे गीत के साथ
उस शब् नज़्म ने जुगलबंदी की थी
हया झलक रही थी आँखों से
गीत बेशर्मी पे अमादा
संस्कार नहीं सिखाये तुमने !
एक ग़ज़ल ने कहा है मुझसे
भरे भवन में आँखों से बात होती है
मुलाकाते, बातें तय होती हैं
मै दोनों के रिश्ते की बात करने आई हूँ
अगली लग्न में ब्याह करा देते है
मोहल्ले में काना-फूसी और नैन मटक्का बंद :-)
माय री! सदके जाऊं मै
शफक सा सुर्ख लाल -पीला घाघरा
उस पर हर्फो से ज़रिदारी
इस लफ्फाजी लिबाज़ में
जन्नत की अप्सरा फींकी
उस पर हर्फो से ज़रिदारी
इस लफ्फाजी लिबाज़ में
जन्नत की अप्सरा फींकी
बोल ऐसे टाँके है जैसे
जैसे हरसिंगार के फूल पर
ठहरा बसंत
बधाई हो! जन्नत सी हो इनकी गृहस्ती
खुश हूँ बहुत
मुलाकात का जी चाहा तो चली आई
मालूम है तुम्हे ?
मेरी नज़्म हमिला है
जश्न की तैयारी करो
अब तो बगिया में बहार आयेगी
मै चाहती हूँ एक नज़्म जन्मे ले
तुम चाहोगे के गीत आये
एक दुआ है बस
रब्बा! जों भी दे तंदरुस्त दे