बातें ज़ुबा पे आ
अक्सर रुक जाया करती हैं|
जो नही कहना होता है
वो सब कह जाया करती हैं|
आज मैं वो सारी आदतें अपनी
ताक पर रख आई हूँ|
आज ना झुकेंगी मेरी पलकें
नही लड़खड़ाएगी ज़ुबां
आज ना सहमूँगी मैं
लेकिन
ऐसा ही कुछ कहा होगा ना
राधा ने श्याम से ?
एक कथानक तैयार कर रही थी
तुम्हारी राय लेने आई हूँ
ये विअर्ड फेशिअल इक्स्प्रेशन देना बंद करो
कुछ बोलोगे ?
या मै जाऊं ?
अच्छा सुनो !
पेपर्स मेज पर छोड़ जा रही हूँ
जब नोर्मल होना तो पढ़ लेना
रिंग कर दोगे तो आ जाऊंगी
डिशकशन के लिए
अजीब बन्दा है!
देखते ही ब्लैन्क हो जाता है
कोई और तो नहीं होता ?
XXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXX
चलते चलते एक शेर भी कहते चले ---
"मै तुझे चाहूं या ना चाहूं मेरी मर्जी ,
मेरी चाहत तेरी मिल्कियत नहीं जानां"
अक्सर रुक जाया करती हैं|
जो नही कहना होता है
वो सब कह जाया करती हैं|
आज मैं वो सारी आदतें अपनी
ताक पर रख आई हूँ|
आज ना झुकेंगी मेरी पलकें
नही लड़खड़ाएगी ज़ुबां
आज ना सहमूँगी मैं
नही बदलूँगी बात का विषय
ना समेटूंगी खुद को अपनी ही ज़द में|
इंतेज़ार कर रही थी के तुम ही बोलोगे
इंतेज़ार कर रही थी के तुम ही बोलोगे
मेरी हदे जानते हो तो मुह खोलोगे
लेकिन नही किया तुमने वैसा
मैने सोचा था जैसा|
तो सुनो
हाँ! हाँ!अच्छे लगते हो मुझे
प्यार करने लगी हूँ मै तुम्हे
तुम्हे कोई ऐतराज़ तो बोलो ?
लेकिन नही किया तुमने वैसा
मैने सोचा था जैसा|
तो सुनो
हाँ! हाँ!अच्छे लगते हो मुझे
प्यार करने लगी हूँ मै तुम्हे
तुम्हे कोई ऐतराज़ तो बोलो ?
लेकिन
पहले सुन लो बात मेरी
इनकार किया तो भी रोक नही पाओगे
समझाओगे तो हार जाओगे
बाधा समझते हो राह की ...
हमेशा पुल जैसा ही पाओगे
इनकार किया तो भी रोक नही पाओगे
समझाओगे तो हार जाओगे
बाधा समझते हो राह की ...
हमेशा पुल जैसा ही पाओगे
ऐसा ही कुछ कहा होगा ना
राधा ने श्याम से ?
तुम्हारी राय लेने आई हूँ
ये विअर्ड फेशिअल इक्स्प्रेशन देना बंद करो
कुछ बोलोगे ?
या मै जाऊं ?
अच्छा सुनो !
पेपर्स मेज पर छोड़ जा रही हूँ
जब नोर्मल होना तो पढ़ लेना
रिंग कर दोगे तो आ जाऊंगी
डिशकशन के लिए
अजीब बन्दा है!
देखते ही ब्लैन्क हो जाता है
कोई और तो नहीं होता ?
XXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXX
चलते चलते एक शेर भी कहते चले ---
"मै तुझे चाहूं या ना चाहूं मेरी मर्जी ,
मेरी चाहत तेरी मिल्कियत नहीं जानां"
23 comments:
ye tumhara naram garam mizaaz mujhe pahund pasand hai yaar ...khair vo to rhi mizaaz ki baat ...par kavita ko mizaaz dene ke liye ehsaaso ki jis doobti ubarti kashti se utarna padta hai ..vo kabhi kavita ka roop nahi le paata ...
khair bahut sunder dear :)
प्यार और जज़्बात के एहसास से भीगी एक रचना !
रोमाँटिक,
लेकिन राधा-कृष्ण का सन्दर्भ ग़ैर-ज़रूरी लगा ।
ऐसा लगा, जैसे आप शहद में शक्कर मिला रही हैं !
कविता अपने-आप में ही वैसे भी खूबसूरत है
सादर,
प्रिया जी...प्रिया जी...प्रिया जी...
कमाल करते हो प्रिया जी, सच कहूं तो डूब सा गया था आपकी रचना पढ़ते पढ़ते, मतलब जिस तरह से अपने दिल की बात कह के ही छोडती है, चाहे सामने वाला उसे प्यार करे या न करे, आपने कमाल कर दिया, मैं शब्दों पर नहीं उनके भावो पर कायल हो गया!
आप तो हमेशा ही निशाने पे तीर मारती हैं, मज़ा आ गया!
सुन्दर और भावपूर्ण अभिव्यक्ति.
जी… नया तो हूँ आपको पढने वालों की लिस्ट में,शायद पहली हि प्रतिक्रिया भी है आपकी पोस्ट पर…
नज़्म अपने पहले हाफ़ में बहुत उम्दा दिखी… और आखिर में आपने जो ट्विस्ट दिया है वह भी खूब रहा…पर कुछ गैर-जरूरी मिसरे भी लगे नज़्म में जैसे वो तुक मिलाती पन्क्तियाँ "ऐसा-जैसा वाली और राधा-कृष्ण वाली" …
समग्रता में नज़्म अच्छी कही जा सकती है। सादर !
बहुत ही खूबसूरत शब्दों का संगम है इस प्रस्तुति में ।
भावो का इतना सुन्दर संगम …………सीधा दिल पर वार किया है।
हमेशा की तरह लाजवाब और अपने ही निराले अंदाज़ में और वो पुल और बाधा की बात सबसे ज्यादा जंची. अगर ऐसे ही सारी बाधाएं पुल बन जाएँ तो जीने का मज़ा ही कुछ और हो. है न ......
पढ़कर होंटों पे हंसी तैर गयी,,cute सी कविता...:)
नज़्म के साथ शेर भी बहुत खूब ....
मैं तो कायल हो गया आपकी कविताओं का.मुझे लगता है आप हर बात को कविता में बदल सकती हैं .सुभान अल्लाह.खुदा ने आपको कलम की नेमत बख्शी है.सम्हाल कर रखियेगा.शुभ कामनाएं..
kamaal ke khyaal hain
कविता में नए तेवर का समावेश प्रभाव पैदा करने में सफल हुआ है !
सुन्दर लेखन के लिए धन्यवाद !
-ज्ञानचंद मर्मज्ञ
आपकी कविता में ,अंदाज़ बहुत अच्छा लगा बातें कहने का....
bhauot sunderta ke saath likhi hain.
ऐसा लगा कि कविता की चंद पंक्तियों में आपने एक कथा ही उड़ेल दी। बेहतरीन तरीका कहने का और आखिर में impact छोड़ने का।
Accha likhti hain aap
बहुत ही खूबसूरत प्रस्तुति
वसंत पंचमी की ढेरो शुभकामनाए
कुछ दिनों से बाहर होने के कारण ब्लॉग पर नहीं आ सका
माफ़ी चाहता हूँ
जानती हो......मुझे अक्सर लगता है सफ्हे पर लोग ज्यादा खुले होते है बनिस्बत रूबरू से.........यूँ भी अपने आप को एडिट करके सफ्हे पर रोकना....जैसे जज्बातों पर कई कोमे लगाना है......कई फुल स्टॉप....
पढ़ा तो एक किरदार याद आया .....हकीक़त का....लगा जैसे कई दिलो में एक सा बहुत कुछ छिपा होता है .....बहुत कुछ.......
love this....
अजीब है, उठता-गिरता ग्राफ सा.... अच्छा भला पद्द चल रहा था, गद्य आ गया... गलती आपकी नहीं है खुद से लड़ने का सिला है, साईड इफेक्ट है.
कविता पढते समय लगा, जैसे शब्दों के झरने में भीग सा रहा हूँ।
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अंतरिक्ष में वैलेंटाइन डे।
अंधविश्वास:महिलाएं बदनाम क्यों हैं?
अजीब बन्दा है!!!!
कोई और होता तो!!!!!
वाह वाह...
bahut hi acchi rachna , padhkar bahut accha laga . ek sanwaad sa hai ye do hisso ke beech me bahta hua.. you have expressed very well.
badhayi
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मेरी नयी कविता " तेरा नाम " पर आप का स्वागत है .
आपसे निवेदन है की इस अवश्य पढ़िए और अपने कमेन्ट से इसे अनुग्रहित करे.
"""" इस कविता का लिंक है ::::
http://poemsofvijay.blogspot.com/2011/02/blog-post.html
विजय
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