यह तो हद है ! ज्ञान विज्ञान के साथ कविता लिखी जा रही है... गोया के तकनीक भी जुड़ गया है... ज्यादा कहना कहीं ऊपर के भावो तो तिरस्कार करना तो नहीं होगा ना ? यही सोच कर चुप रह जाने को मन करता है.
एक बार वापस आदेखना जरूर तुम्हे किसने रिप्लेस किया है? अक्सर रचनाकार खुद की और समाज की दोनों की बाते,अनुभव अपनी रचनाओं में देता है,करता है.ये रचना आपके व्यक्तिगत अनुभव हैं? यदि हाँ तो..... एक बात बताइए प्रिय को 'स्पेस' चाहिए इसलिए आपने उसे स्वतंत्र कर दिया अपनी ओर से 'जाओ जितना चाहो स्पेस ले लो' किन्तु आप जैसे संवेदनशील व्यक्ति ने उस 'स्पेस' को भरा,वो जानना चाहती हूँ. मात्र भावुकता में आके उसे रिक्त रहने देना अक्लमंदी भी नही किसी 'पुरुष' के लिए. हा हा हा स्त्री के लिए नही लिखा .सब मारेंगे मुझे सच्ची ये बात पढ़ कर..... पर जाने कयों ये कविता एक गहरा दर्द छुपाये हुए है खुद में......और मैं दुखी.
इंदु पूरी जी, आपने खुद सवाल किया और जवाब भी दे दिया. रचनाकार से किसी भी रचना को जोड़ कर देखना उचित नहीं है, हालाँकि अक्सर ऐसा पाठक करता है.कविता बहुत तरीकों से जन्म लेती है...बहरहाल मेरी कविता में एक क्षणिक विचार को ही शब्द दिए गए हैं
18 comments:
यह तो हद है ! ज्ञान विज्ञान के साथ कविता लिखी जा रही है... गोया के तकनीक भी जुड़ गया है... ज्यादा कहना कहीं ऊपर के भावो तो तिरस्कार करना तो नहीं होगा ना ? यही सोच कर चुप रह जाने को मन करता है.
बहुत सुन्दर कटाक्ष..कुछ पंक्तियों में ही बहुत कुछ कह दिया
lajwaab rachna .....
bahut sunder yaaar :).har kisi ko karj chukana hota hai ..kabhi jaldi kabhi der se ..sayad janmo ki deri :) .
रिश्तों में एटिट्यूड... हम्म... ये अच्छी बात नहीं है ( अटल जी के अंदाज़ में ) :)
hmmm ...
स्पेस के लिए रिप्लेस ही कर दिया ...
अपना अपना नजरिया है ..
स्पेस में किसी को रिपेस कर दिया ... क्या बात है लाजवाब तेवर .... अच्छी लगी आपकी रचना ...
waah...space ke saath replace , swabhimaan hai
सन्नाट पंक्तियां
aap to aise shakhsiyat hain jinko koi replace karne wala nahi hai!
gazab !
mere blog par bhi kabhi aaiye waqt nikal kar..
Lyrics Mantra
kuchh samajh nahi Aaya ....
thodi aur panktiya hoti to sayad mai bhi samajh jata .
ye koi coment nahi hao request hai .
bat mere jaise kam samjhdar logo ki hai .
एक बार वापस आदेखना जरूर
तुम्हे किसने रिप्लेस किया है? अक्सर रचनाकार खुद की और समाज की दोनों की बाते,अनुभव अपनी रचनाओं में देता है,करता है.ये रचना आपके व्यक्तिगत अनुभव हैं? यदि हाँ तो.....
एक बात बताइए प्रिय को 'स्पेस' चाहिए इसलिए आपने उसे स्वतंत्र कर दिया अपनी ओर से 'जाओ जितना चाहो स्पेस ले लो'
किन्तु आप जैसे संवेदनशील व्यक्ति ने उस 'स्पेस' को भरा,वो जानना चाहती हूँ.
मात्र भावुकता में आके उसे रिक्त रहने देना अक्लमंदी भी नही किसी 'पुरुष' के लिए.
हा हा हा स्त्री के लिए नही लिखा .सब मारेंगे मुझे सच्ची ये बात पढ़ कर.....
पर जाने कयों ये कविता एक गहरा दर्द छुपाये हुए है खुद में......और मैं दुखी.
इंदु पूरी जी,
आपने खुद सवाल किया और जवाब भी दे दिया.
रचनाकार से किसी भी रचना को जोड़ कर देखना उचित नहीं है, हालाँकि अक्सर ऐसा पाठक करता है.कविता बहुत तरीकों से जन्म लेती है...बहरहाल मेरी कविता में एक क्षणिक विचार को ही शब्द दिए गए हैं
love this one.....
यहाँ तुम ज्यादा ओरिजनल हो......वैसे कभी कभी लगता है ...जैसे कई बार एडिट करके रोका है अपने आप को लिखने से
क्या बात है लाजवाब तेवर .... अच्छी लगी आपकी रचना ...... बेहद प्रभावशाली अभिव्यक्ति है ।
200 फोलोवर ...सभी ब्लोगेर साथियों और ब्लॉगस्पॉट का तहे दिल से शुक्रिया ...संजय भास्कर
नई पोस्ट पर आपका स्वागत है
धन्यवाद
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