एक मुद्दत से तमन्ना है सिगार पीने की
चिंताओं को धुंए के गुबार में उड़ा देने की
हुक्के की गुड-गुड से सियाह ख्यालों को स्वाहा कर..
रक्काशो पर रुपया लुटाने की
चिलम को मुह में दबा, गमो का मसनद बना
सारे रिवाजो को घुँघरू पहना, ठहका लगाने की
रम, बीअर व्हिस्की वाइन का कॉकटेल बना
जाम हाथ में पकड़ झूम जाने की
ऐसे में कोई फ़िल्मी धुन बज उठे,
कदम थिरक उठे
और हम गा दें फिर
" मैंने होठों से लगाई तो हंगामा हो गया"
ख्वाइशे भी अजीब होती है ना
आज मेरी कलम बेबाक मूड में है
तोड़ दी मर्यादाएं सारी
जात इंसान की होती है
ये तो बदजात निकली
खैर!
ख्यालों को यूँ बहा सुकूँ से हूँ
बेलगाम होने का सुख
तृप्त हुई मै
आज़ाद !
मै एक आज़ाद रूह हूँ
छिः यू हिप्पोक्रेटिक डबल स्टैण्डर्ड पीपल
तुम दुनिया से विलुप्त क्यों नहीं होते ?
चिंताओं को धुंए के गुबार में उड़ा देने की
हुक्के की गुड-गुड से सियाह ख्यालों को स्वाहा कर..
रक्काशो पर रुपया लुटाने की
चिलम को मुह में दबा, गमो का मसनद बना
सारे रिवाजो को घुँघरू पहना, ठहका लगाने की
रम, बीअर व्हिस्की वाइन का कॉकटेल बना
जाम हाथ में पकड़ झूम जाने की
ऐसे में कोई फ़िल्मी धुन बज उठे,
कदम थिरक उठे
और हम गा दें फिर
" मैंने होठों से लगाई तो हंगामा हो गया"
ख्वाइशे भी अजीब होती है ना
आज मेरी कलम बेबाक मूड में है
तोड़ दी मर्यादाएं सारी
जात इंसान की होती है
ये तो बदजात निकली
खैर!
ख्यालों को यूँ बहा सुकूँ से हूँ
बेलगाम होने का सुख
तृप्त हुई मै
आज़ाद !
मै एक आज़ाद रूह हूँ
छिः यू हिप्पोक्रेटिक डबल स्टैण्डर्ड पीपल
तुम दुनिया से विलुप्त क्यों नहीं होते ?
20 comments:
इसे पिछले क्षणों में कई दफा पढ़ चुका हूँ और सच मानो, हर दफ़ा कुछ नया जाना है इस रूह के बारे में.....तुम्हें पढता हूँ तो न जाने क्यों ख़याल हो आता है कि....
:):):)
ye praari si smile nishani k tour pe hai ..:D
kehna ye hai k last me jara sa badlaav hi maja baandh gya ....bahut badhiaa :)
kamaal karti hain priyaa ji....
aapne background to bada kamaal ka lagaaya hai...dil khush ho gaya mara....
aapki rachna ki tareef karna again sooraj ko diyaa dikhaane se hoga...
aafareen..!!
गज़ब का अन्दाज़ ………………गज़ब की प्रस्तुति।
बहुत सुन्दर, मस्त ख्याल ... बिंदास बोल वचन, लगे रहिये ऐसे ही, आगे भी ... कई जगह बड़े सुन्दर नज़ारे हैं, मसलन रुपये लुटाने की....
"माँ दा लाडली बिगड़ गयी" :)
अंत में नाम हटा लीजिये, भ्रम दे रहा है, रही "प्रिया" नाम का मसला तो यह जगजाहिर सी बात है की यह उन्ही का ब्लॉग है...
ख्वाबों की बेवाक उडान.अगर रूह आजाद है तो उडान की कोई सीमा नहीं होती..बहुत सुन्दर...
kuch aisi hi khwaahish hai apni... dhunyen me ek din sabkuch udaa de
देखो ये काम साथ में करेंगे ये डील तो उसी दिन हो गयी थी जिस दिन पहली बार तुमने ये सुनाई थी :)
बाक़ी ख़्वाबों और ख्वाहिशों को ऐसे ही बिंदास हो के उड़ने दो... और देखो तुम्हारी लेखनी की तारीफ़ रोज़ रोज़ नहीं कर सकते... जलन होती है यार... समझा करो... :)
अच्छा चलो कर ही देते हैं... गज़ब की सोच... हर बार की तरह बिलकुल अलग सा ख़याल !!!
लीजिए आपकी तमन्ना पूरी कर देते हैं
वैसे गलत कहां आपने खामोशियां पढ़ी नहीं जाती
हम तो बहुत कुछ कह के कुछ नहीं कह पाते
खामोशियां हमारी हर भावना कह जाती..
अब आपकी रचना के बारे में- आपकी यह स्वच्छंद चाहत हमें बहुत खतरनाक लग रही है। कृपया इतनी स्वतंत्रता की चाहत भी मत रखिये। और किसने कह दिया आपसे कि सिगार के धुंए में गम उड़ जाते हैं। यदि ऐसा होता तो शौक से सिगार नहीं पीए जाते। क्योंकि यदि यह दर्द की दवा है तो सिर्फ दर्द वालों के लिए ही होती। भला, कोई बगैर बीमार हुए दवा खाता है। नहीं ना? खैर, छोडि़ए। अपने दर्द को समेटकर उसकी वजह खोजिये और फिर बगैर सिगार पीए धुआ ना हो जाए आपका गम, तो हमसे कहना...
प्रिया जी ,आपने खुल कर लिखा अच्छा लगा ...लिखने पर पाबन्दी नहीं होनी चाहिए .....
मुझे ऊपर की दो पंक्तियाँ बहुत अच्छी लगीं .....
कमाल ...अलग अंदाज़ और तेवर तो बला के हैं ये कलम आज फिर बहक गयी. ऐसे ही रहने दो इसे कभी बहकी हुई कभी होश में हो कर भी बहकी हुई
Your presentation is nice and awesome..
आपका अभिव्यक्ति का अनोखा अन्दाज--अच्छा लगा।
kafi achcha likhtin hain aap.
good read, post more!
आपकी तमन्ना पूरी हो, क्या इतनी निशानी काफी है।
सुन्दर रचना
देर से आने को माफ़ी चाहती हूँ
बहुत खूब
अच्छी रचना है आपकी
कभी यहाँ भी आइये
www.deepti09sharma.blogspot.com
Brilliant composition...
Great work done dear!!
Regards,
Dimple
तारीफ के लिए हर शब्द छोटा है - बेमिशाल प्रस्तुति - आभार.
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