कुछ तो है जों ख़ास नहीं ,
हमको यूँ ही तो परिंदों से प्यार नहीं,
क्यों न आज इस राज से पर्दा उठाये ,
इस उन्सियत का किस्सा सुनाये.
हमको यूँ ही तो परिंदों से प्यार नहीं,
क्यों न आज इस राज से पर्दा उठाये ,
इस उन्सियत का किस्सा सुनाये.
इस कायनात में ...
हमने रंग भरना चाहा
गगन के कैनवस पर ...
मगन होकर मुझ कविता ने
एक गीत लिखना चाहा
हमने रंग भरना चाहा
गगन के कैनवस पर ...
मगन होकर मुझ कविता ने
एक गीत लिखना चाहा
मदमस्त चौकड़ी भरती
हिरनी सी लेखनी मेरी
गीत की जगह तस्वीर सजा बैठी
ख्वाबों का आशियाँ बना बैठी
हिरनी सी लेखनी मेरी
गीत की जगह तस्वीर सजा बैठी
ख्वाबों का आशियाँ बना बैठी
ऐसा भी कभी होता है कहीं
लफ्ज़ आकर लेते है क्या कभी
कुछ तब्दीलिया हुई थी कहीं
वरना लेखनी की ऐसी हिमाकत तो नहीं
कोई स्पर्श मेरे हाथो से टकराया था
उसने हौले से ब्रुश पकड़वाया था
मेरे जहन, दिल को इशारे पे नचाया था
ये तस्वीर उसके ही वजूद का सरमाया था
तस्वीर बहुत प्यारी थी ,
भविष्य की सारी जानकारी थी
घर, आँगन, फूल, ऋतुएँ
हरियाली परिंदे थे
चाह्चाहती सुबह ,
गुदगुदाती शामें थी
खुशगवार आलम था
भविष्य की सारी जानकारी थी
घर, आँगन, फूल, ऋतुएँ
हरियाली परिंदे थे
चाह्चाहती सुबह ,
गुदगुदाती शामें थी
खुशगवार आलम था
लेकिन!
बादलों का कुछ और ही मन था
उनको भी वही अपनी आँखें नम करनी थी
तस्वीर के कच्चे रंगों पर ही वो गिरनी थी
बादलों का कुछ और ही मन था
उनको भी वही अपनी आँखें नम करनी थी
तस्वीर के कच्चे रंगों पर ही वो गिरनी थी
कोई एब्सट्रैक्ट आर्ट रह गई थी अब वहाँ
जिसका कोई एक मतलब नहीं होता है यहाँ
सबके दिमाग अलग ढंग से सोचते हैं
एक तस्वीर के हज़ार व्याख्यान परोसते हैं
अरे हाँ !
कुछ बचा था वहाँ
दो परिंदे
एक तो मेरे पास महफूज़ है
दूजे को हिफाज़त से उड़ा ले गया कोई
सलामत है वो
है यही कहीं
लेकिन
तलाशती हूँ उसको
शायद दिख जाए मुझको
पगली सी हर परिंदे की तस्वीर खिचती चलती हूँ
फिर मिलान करती हूँ उसका अपनी एल्बम से
बेवकूफ! मैं
नहीं समझती
परिंदे होते नहीं ठहरने के लिए
वो तो बने हैं सिर्फ उड़ने के लिए
बस ! इसीलिए मैं उनसे प्यार करती हूँ
क्योंकि मैं भी परवाज़ में विश्वास करती हूँ
4 comments:
यकीनन एक अच्छी कविता पर और भी बेहतर हो सकती थी थोड़ी लम्बी हो गयी शायद..शुरू में बिखरते भावो को आखिर तक जाते जाते संभाल लिया गया है...:-)
अहा ! कितना सुन्दर !
आनन्द आ गया !
वाह !कितनी अच्छी रचना लिखी है आपने..! बहुत ही पसंद आई
ऐसी कवितायें रोज रोज पढने को नहीं मिलती...इतनी भावपूर्ण कवितायें लिखने के लिए आप को बधाई...शब्द शब्द दिल में उतर गयी.
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