सोचा था
हाँ तब
तू साथ था जब
तू बाती और
मै मोम
या फिर यूँ
मैं मोम
तू बाती बन
एक लौ जलाकर
प्रेम की
रोशन करेंगे
घरौंदा अपना
लेकिन अब
वक़्त बदला और
सोच भी
तू तिजारत की दुनिया की
नामचीन हस्ती
मैं ख्यालों की दुनिया में
खोई हुई सी
तू कतरा-कतरा
जल रहा है
जगमगा रहा है
तप कर कुंदन सा हो गया है
बाज़ार में खूब चल रहा है
मै रफ्ता-रफ्ता पिघल रही हूँ,
मोम जो हूँ....
पिघल कर भी नहीं मिटती
मेरे वजूद पर
तेरा साया जो रहता है
मै न ! पिघल कर
मोम नहीं रहती
पानी हो जाती हूँ
जिधर का रुख करती हूँ
रास्ता मिल जाता है
कोई भी रंग ..
आसानी से चढ़ जाता है
अब न चेहरे पर
भाव नहीं आते
उनको ढाँपने का
गुण जो आ गया है
तेरे तजुर्बे ने
मोम से पानी बना दिया
कई बार बनी हूँ बर्फ सी
लेकिन पिघल कर फिर
मोम हुई पानी नहीं.
शुक्रिया !
शुक्रिया उस साथ का
जिसने
दुनिया के संग
जीना सीखा दिया
मेरा असली रंग चुरा
ज़माने का रंग चढ़ा दिया
कल खबर आई थी तेरी दुनिया से
सेंसेक्स की उथल-पुथल की
चेहरा भी देखा था टी. वी. पर
आते-जाते रंगों को पढ़ लिया मैंने
सच! तुमने कुछ नहीं सीखा
फिर भी ख़बरों में रहते हो ज़माने की
एक सवाल पूछना था तुमसे
हाँ ! तुम्हारी भाषा में
गर जज़्बात में रिसेशन हो ........
तब क्या प्रोडक्ट ब्रांड बन जाता है?
हाँ तब
तू साथ था जब
तू बाती और
मै मोम
या फिर यूँ
मैं मोम
तू बाती बन
एक लौ जलाकर
प्रेम की
रोशन करेंगे
घरौंदा अपना
लेकिन अब
वक़्त बदला और
सोच भी
तू तिजारत की दुनिया की
नामचीन हस्ती
मैं ख्यालों की दुनिया में
खोई हुई सी
तू कतरा-कतरा
जल रहा है
जगमगा रहा है
तप कर कुंदन सा हो गया है
बाज़ार में खूब चल रहा है
मै रफ्ता-रफ्ता पिघल रही हूँ,
मोम जो हूँ....
पिघल कर भी नहीं मिटती
मेरे वजूद पर
तेरा साया जो रहता है
मै न ! पिघल कर
मोम नहीं रहती
पानी हो जाती हूँ
जिधर का रुख करती हूँ
रास्ता मिल जाता है
कोई भी रंग ..
आसानी से चढ़ जाता है
अब न चेहरे पर
भाव नहीं आते
उनको ढाँपने का
गुण जो आ गया है
तेरे तजुर्बे ने
मोम से पानी बना दिया
कई बार बनी हूँ बर्फ सी
लेकिन पिघल कर फिर
मोम हुई पानी नहीं.
शुक्रिया !
शुक्रिया उस साथ का
जिसने
दुनिया के संग
जीना सीखा दिया
मेरा असली रंग चुरा
ज़माने का रंग चढ़ा दिया
कल खबर आई थी तेरी दुनिया से
सेंसेक्स की उथल-पुथल की
चेहरा भी देखा था टी. वी. पर
आते-जाते रंगों को पढ़ लिया मैंने
सच! तुमने कुछ नहीं सीखा
फिर भी ख़बरों में रहते हो ज़माने की
एक सवाल पूछना था तुमसे
हाँ ! तुम्हारी भाषा में
गर जज़्बात में रिसेशन हो ........
तब क्या प्रोडक्ट ब्रांड बन जाता है?
22 comments:
vah...vah! bahut achchaa article hai! jab sabhi aapke article kee is tarah tarif karte hai jaise koi bahut sunder kavita ho? to mai bhala ye kyo kahu ki mujhe samajh nahee aaya!
abhinav kavita...........
जज्बातों के रिसेशन
दिल को छू लेने वाली कविता, यह प्रयास जारी रहे.
Bahut Khub...Bahut hi sundar abhivyakti! aapki rachana main bahut gahrai hai!!
http://kavyamanjusha.blogspot.com/
कई बार बनी हूँ बर्फ़ सी
लेकिन पिघल कर फिर
मोम हुई पानी नहीं
बहुत खूबसूरत अल्फाजो मे आपने अपनी अभिव्यक्ति प्रदान की है.
भाव इतने घने कि ----
हो सके तो असली रंग में ही रहें कहीं खोता नहीं क्योंकी अपना रंग ही असली होता है....जमाने का रंग उतार फेंकिए, कहीं अपनो को भी जमाने के रंग से देखने की आदत न बल जाए....
सवाल का जबाव सही में सोचना चाहिए ...
ज्जबातों का रिसेशन..बड़ी विल्क्षण सोच है जी!!
बहुत खूब....ज़ज्बातों का रिसेसन अच्छी उपमा है....
क्या बात है !!!...जवाब नहीं आपकी इस रचना ...भवनों से लेकर जिंदगी की सच्चाई तक .
bahut khoobsurat likhti hai aap .... aapke har lafz me jaadu hai ...bahut sunder...God bless u
tumhari soch jabardast hai
गर ज़ज्बात में रेसेशन हो .....
कमाल की पंक्तिया हैं .... जीवन के खट्टे मीठे अनुभव, यथार्थ का कठोर धरातल .... ज़ज़्बातों का उमड़ता सैलाब .... बहुत गहरी रचना से रूबरू हूँ ...... बहुत ही अच्छी लगी ....
wah wah wah...
dil khush kar diya....
हिंद युग्म पर भी कह चुका हूँ - इस "बेजोड़ रचना" की तारीफ़ के लिए मेरे शब्दकोष का हर शब्द छोटा है - हार्दिक बधाई.
ultimate..
mom kee tarah na mitna,chehre ke bhavo ko chipa dena.zmane ka rang chada hai ya jeena seekh liya.jajbato ke ression se to bas mouh se haye nikli..gr8 work.
अंतत: बाज़ारवाद आ ही गया
आपको पढता हूँ तो कहीं बहुत गहरे तक चला जाता हूँ. आपके लिखे शब्द मुझे फिर से बाँधते हुए कविता में खीच लाते हैं. निश्चय ही शब्दों से एहसास जुड़े हैं...रिश्ते जुड़े हैं .
जैसा मुझे याद है इस खूबसूरत भाव को एक बार हिन्दयुग्म पर पढ़ चुका हूँ..आज दुबारा पढ़ना भी सार्थक लगा..बढ़िया रचना...बधाई
tummein kuch, aur mujh mein kuch...hum dono mein hi simat gaya sab kuch... pyaara ehsaas!
बहुत उम्दा लिखा है..
Hello Priya,
You write in length describing everything nicely :)
Its a rocking composition :)
Regards,
Dimple
लेकिन पिघल कर फिर
मोम हुई पानी नहीं
बहुत खूबसूरत अल्फाजो मे आपने अपनी अभिव्यक्ति प्रदान की है.
भाव इतने घने कि
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