लोग कहते हैं
बहुत शांत हूँ मै
लेकिन
पता है मुझे
गुस्सा रहता है
मेरी नाक पर
सब पर नहीं गुस्साती
उन्ही से रूठी हूँ अब तक
जिन्हें कुदरत ने दिया है
या फिर उनसे ,
जिन्हें
मैंने भीड़ से चुना है
कई बार लगता है
हम सब समझते हैं
एक दूजे को
अच्छी तरह से
या फिर
थोड़ी नासमझी
के साथ
कुछ पल
या फिर
एक दो दिन
तक होती है नाराज़गी
बहुत बार बोला है----
आगे से नहीं करूंगी
"सॉरी "
कई बार नहीं भी कहती
मेरी हर हरकत से वाकिफ हैं
वो सारे
और मैं उनके हर अंदाज़ से
ये Ego का कांसेप्ट भी न
आता - जाता रहता है
कोई भी पहल कर
दफ़न करता है
अपना अहम्
और मामला रफा -दफा
बरसती है
प्यार की फुहार
रिश्तो पर
और गुस्सा
छूमंतर
सोचती हूँ
जिंदगी इसी तरह
चलती रहे तो बेहतर है
एक mutal understading
अपने आप बन गई
विश्वास , प्रेम ,
ईमानदारी अभिमान,
मान ,सम्मान
आत्मसम्मान
स्वाभिमान
हक और फ़र्ज़
सारे तत्व संतुलित है
सलामत है
कोई डिफेक्ट नहीं
फिर शिकायत क्यों ?
कोई शिकायत नहीं
सब ठीक- ठाक ही चल रहा है
मैं भी न
बेबात - बेवजह
बस यूँ ही
टेंस हो जाया
करती हूँ
बहुत शांत हूँ मै
लेकिन
पता है मुझे
गुस्सा रहता है
मेरी नाक पर
सब पर नहीं गुस्साती
उन्ही से रूठी हूँ अब तक
जिन्हें कुदरत ने दिया है
या फिर उनसे ,
जिन्हें
मैंने भीड़ से चुना है
कई बार लगता है
हम सब समझते हैं
एक दूजे को
अच्छी तरह से
या फिर
थोड़ी नासमझी
के साथ
कुछ पल
या फिर
एक दो दिन
तक होती है नाराज़गी
बहुत बार बोला है----
आगे से नहीं करूंगी
"सॉरी "
कई बार नहीं भी कहती
मेरी हर हरकत से वाकिफ हैं
वो सारे
और मैं उनके हर अंदाज़ से
ये Ego का कांसेप्ट भी न
आता - जाता रहता है
कोई भी पहल कर
दफ़न करता है
अपना अहम्
और मामला रफा -दफा
बरसती है
प्यार की फुहार
रिश्तो पर
और गुस्सा
छूमंतर
सोचती हूँ
जिंदगी इसी तरह
चलती रहे तो बेहतर है
एक mutal understading
अपने आप बन गई
विश्वास , प्रेम ,
ईमानदारी अभिमान,
मान ,सम्मान
आत्मसम्मान
स्वाभिमान
हक और फ़र्ज़
सारे तत्व संतुलित है
सलामत है
कोई डिफेक्ट नहीं
फिर शिकायत क्यों ?
कोई शिकायत नहीं
सब ठीक- ठाक ही चल रहा है
मैं भी न
बेबात - बेवजह
बस यूँ ही
टेंस हो जाया
करती हूँ
22 comments:
बहुत खूब ......... ऐसे लग रहा है जैसे हक़ीकत में जी रहा हूँ .......... आपकी रचना किसी जीवन प्रवाह की तरह बह रही है ...... जीवन के लम्हों से चुराई हुई रचना .......
ज़िंदगी समेट कर रख दी इन शब्दो में.. ऐसे ही कई किरदार अपने आस पास मिल जाते है.. बहुत खूब
बहुत ही अच्छी रचना...वाह...
नीरज
jb hath thithurte hain
tb mn ke alaavon me
dil bhi to jlte hain
ye aag to dhimi hai
dil aur jlao to
ye dhoop hi sili hai
rishte n jm jayen
dil ko kuchh jlne do
ve grmaht payen
dr.vedvyathit@gmail.com
http://www.youtube.com/watch?v=MBWTNV9YPos
ab aur kya kahna
Is rachna mein is bheed se chune hue khaas logon ki charcha hai...unse unke aur apne ehsaas ka khasi tasveer kheenchi hai aapne
waah...........bahut hi sundar khyal.
बहुत खूब
"बरसती है
प्यार की फुहार
रिश्तों पर
और
गुस्सा छूमंतर!"
इन पंक्तियों में छुपी है - इस कविता की आत्मा!
ओंठों पर मधु-मुस्कान खिलाती शुभकामनाएँ!
नए वर्ष की नई सुबह में, महके हृदय तुम्हारा!
संयुक्ताक्षर "श्रृ" सही है या "शृ", उर्दू कौन सी भाषा का शब्द है?
संपादक : "सरस पायस"
bahut khubsurat khyal .
oyee bahuuuuuut sunder andaaaaaj hai yaar ...sacchi ....apke andaaj jankar pata chala k ham bhi kuch kuch aap k jaise hi hai heehhhehe ..very nic dear ...GOd bless u ....:)
बहुत सुन्दर रचना है बधाई
वाह हमारी आपकी सबकी जिन्दगी का निचोड़ और वही एक जैसे ही ख्याल
blog bahut sunder lag raha hai.kavita pahle ki kavitao se hatkar hai..mutual understanding wali baat achhi lagi.ego ka concept...lakin fir kahna sab theek chal raha hai achha laga.dil ko khush rakhne ko ghalib ye khyaal achha hai...
अपनों के साथ ये mutual understanding हमेशा बनी रहे और अहं कभी भी रिश्तों के बीच ना आये यही दुआ है... बाकी ये गुस्सा वुस्सा क्या... अपनों के प्यार कि फुहार है ना उसे शांत कराने के लिये :-)... keep writing and keep smiling... always !!!
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति.
महावीर शर्मा
बड़े दिनों बाद चिठ्ठों को पढने बैठा हूँ. बड़ी ही सुन्दर लगी आपकी यह अभिव्यक्ति कुछ पंक्तियाँ तो काफी सहज बन पड़ी हैं जैसे सब पर नहीं गुस्साती और मैं भी बेवजह टेंस हो जाती हूँ वाली. साधू
Nice creation
Happy Blogging
बहुत सुन्दरता से भावों को स्पष्ट रुप से अभिव्यक्त करता शब्द चित्र खींचा है.
मेरा सौभाग्य कि आप मेरे ब्लॉग पर आये और अपने विचार दिये.
आपका स्नेह लिखने का हौसला देता है, बनाये रखें.
अगर सारे तत्व संतुलित हैं ....तो थोड़ी सी मनुहार चल सकती है .....अच्छी रचना ......!!
अभिव्यक्ति ऐसी ही होनी चाहिये । ठन्ड मुबारक ।
वाह क्या बात है. तारीफ करने के लिए मेरे पास शब्द नहीं है.
Post a Comment