१.
इस दिल ने जो भी चाहा वो कभी ये कह नहीं पाया,
परिणामो से इतना डरा कि ये जोखिम ले नहीं पाया,
कमी खलती है जीवन में उन हसरतों की मुझको
जो बीजो में तो है लेकिन अंकुरित हो नहीं पाया॥
२.
बसंती रूप-रंग धर कर फिजा मेरे घर आई थी,
मेरी चौखट पे आकर के जोर से आवाज़ लगाईं थी,
मै बहुत तेज से दौडी और फिर ठिठक सी गई
एक झोंके की बेवफाई अचानक याद आई थी॥
३.
तुम तो खेल रहे थे हमसे पर हम थे संजीदा से,
तुमको लेकर देख रहे थे सपने कुछ पसंदीदा से,
पलकों के घूंघट तक तो सपना था बहुत सुहाना सा,
सिन्दूरी सुबह के आते तुमको जाने का मिला बहाना सा॥
४ .
शिकायत नहीं है मुझको तुमसे तकदीर ही मुझसे रूठी है,
अब तो ख्वाबो, ख्यालों की दुनिया लगती मुझको झूठी है,
जानते हैं यहाँ सब कि सपनो से मेरी लडाई है,
सपनो से जुदाई मान भी लूं पर तेरा होना सच्चाई है॥
५ .
कदम न आगे बढे न पीछे हटे,
हम दोनों जहाँ थे वही पे रहे,
वक़्त चलता गया रुका ही नहीं,
अब तुम हो कहीं और हम है कहीं ॥
६ .
मन में जो अमिट कहानी थी, तुमने वो कब जानी थी,
ह्रदय में अनकही गाथाये थी लबो पे उतर न पाई थी,
गुरुरे मद में चूर मेरा झूठ तो देखिये साहेब,
कहीं मै रो न दू इस वास्ते तेरे जाने की महफ़िल सजायी थी॥
७ .
हवाओं सुना ज़रा ठहरो मेरी ताल से ताल मिलाओं,
दरियाओं के संगम को साहिल पे ला के दिखलाओ,
क्यों न नाज़ हो खुद पर सुनो ए आसमां वालो,
बिना छल के समंदर मथ हलाहल पी के दिखलाओ॥
८ .
इन किताबों से मुझे दोस्ती करने दो,
जुनू शायरियों का कुछ कम ही रहने दो,
ठाहको के बाज़ारों में ये बेमोल बिकती हैं
पर सच है इन्ही के कारण महफिले सजती हैं॥
९ .
"नहीं है वादा कोई के हमेशा साथ निभाएगे,
कारण- अकारण बस यू ही मिलते जायेगे,
कभी दुश्वारिया पता चले तो बस इतना करेगे,
तेरे नाम की दुआ पढ़ उससे फरियाद करेंगे॥ "
१० .
ये मत सोचना के तुम मेरे लिए कुछ खास हो,
रुपहले सपनो का तुम एक आभास हो,
रंगों को मेरे जीवन में सजाया था कभी तुमने
रंग धुल गए है अब मै खुश हूँ तुम आबाद हो॥
परिणामो से इतना डरा कि ये जोखिम ले नहीं पाया,
कमी खलती है जीवन में उन हसरतों की मुझको
जो बीजो में तो है लेकिन अंकुरित हो नहीं पाया॥
२.
बसंती रूप-रंग धर कर फिजा मेरे घर आई थी,
मेरी चौखट पे आकर के जोर से आवाज़ लगाईं थी,
मै बहुत तेज से दौडी और फिर ठिठक सी गई
एक झोंके की बेवफाई अचानक याद आई थी॥
३.
तुम तो खेल रहे थे हमसे पर हम थे संजीदा से,
तुमको लेकर देख रहे थे सपने कुछ पसंदीदा से,
पलकों के घूंघट तक तो सपना था बहुत सुहाना सा,
सिन्दूरी सुबह के आते तुमको जाने का मिला बहाना सा॥
४ .
शिकायत नहीं है मुझको तुमसे तकदीर ही मुझसे रूठी है,
अब तो ख्वाबो, ख्यालों की दुनिया लगती मुझको झूठी है,
जानते हैं यहाँ सब कि सपनो से मेरी लडाई है,
सपनो से जुदाई मान भी लूं पर तेरा होना सच्चाई है॥
५ .
कदम न आगे बढे न पीछे हटे,
हम दोनों जहाँ थे वही पे रहे,
वक़्त चलता गया रुका ही नहीं,
अब तुम हो कहीं और हम है कहीं ॥
६ .
मन में जो अमिट कहानी थी, तुमने वो कब जानी थी,
ह्रदय में अनकही गाथाये थी लबो पे उतर न पाई थी,
गुरुरे मद में चूर मेरा झूठ तो देखिये साहेब,
कहीं मै रो न दू इस वास्ते तेरे जाने की महफ़िल सजायी थी॥
७ .
हवाओं सुना ज़रा ठहरो मेरी ताल से ताल मिलाओं,
दरियाओं के संगम को साहिल पे ला के दिखलाओ,
क्यों न नाज़ हो खुद पर सुनो ए आसमां वालो,
बिना छल के समंदर मथ हलाहल पी के दिखलाओ॥
८ .
इन किताबों से मुझे दोस्ती करने दो,
जुनू शायरियों का कुछ कम ही रहने दो,
ठाहको के बाज़ारों में ये बेमोल बिकती हैं
पर सच है इन्ही के कारण महफिले सजती हैं॥
९ .
"नहीं है वादा कोई के हमेशा साथ निभाएगे,
कारण- अकारण बस यू ही मिलते जायेगे,
कभी दुश्वारिया पता चले तो बस इतना करेगे,
तेरे नाम की दुआ पढ़ उससे फरियाद करेंगे॥ "
१० .
ये मत सोचना के तुम मेरे लिए कुछ खास हो,
रुपहले सपनो का तुम एक आभास हो,
रंगों को मेरे जीवन में सजाया था कभी तुमने
रंग धुल गए है अब मै खुश हूँ तुम आबाद हो॥