Friday, April 17, 2020

COVID-19

तुम्हारे होने पर शक करूं
या तुम्हें बेसबब मानू,
तुम पर ऐतबार है
पर ensure नहीं हूं इस बार
देखो न।कैसा फ़साद फैला है दुनियां में
कोई नहीं है ज़िम्मेदार
कमियां गिनाने वाले हजार
तुम्हारा नाम लेकर कुछ
 तुम्हें बदनाम करके कुछ
ललकार रहें हैं तुझको
नज़ारा देख कर सारा,
 पेशानी पर बल पड़ा होगा
बड़े मुंसिफ कहाते हो
कर दो मुंसफी इस बार
बचा लो अपने बंदो को,
इशारा करो किसी साइंस दा को
नब्ज पकड़ कर COVID 19 की
तोड़ दे वायरस का घमंड
Vaccine का इजा़द करा दें
 debate के mood में नही हूं मै अब
बचा लो अपनी अना
के तुम्हारे होने के वास्ते मेरा होना जरूरी है
बहुत आहुितयां हविष्य हो चुकी रण में
नतीजा कब तलक लटकाओगे?
तो क्या मान लू मै फिर
 तुम फ़साने से ज़्यादा और कुछ नही।।

Wednesday, February 15, 2012

तुम हम दोनों से प्यार करो ना



तुम मुझे चाँद ना दिखाया करो
मै इमोशनल हो जाती हूँ
औ घर  पर तो बिल्कुल नहीं
एक बार
जब तुम नहीं थे साथ
रात मेरी इससे नज़र मिल गई
मै भी इसके साथ तारो में खो गई
बस मौका जान
ये बेशर्म! बालकनी के करीब आ गया
आसमा भी लाया था 
एक बादल का टुकड़ा गार्ड बन आया था 
सितारे लिविंग रूम के बाहर रखे ..
गमलो पर सुस्ता रहे थे
ना जाने किस बात पर बादल 
 बिजली पर गुर्रा रहे  थे  .

फिर बिजली
गरजी बहुत तेज
के मैं बिस्तर छोड़ बाहर आ गई
बेखयाली में
एक कैक्टस पर हाथ पड़ गया 
मुआ  कैक्टस हाथ चाट गया!
 
लहूलुहान हाथ लिए तुम्हे ढूढने लगी
छुई -मुई का पौधा दिखा तो
उससे खेलने लगी
पत्तो पर बैठे जादूगर सितारे
कमाल कर गए
हाथो से दर्द खींच ओस बन
पत्तो पे सज गए
चाँद बादलों के सोफे पे बैठा
दूर से मुस्कुरा रहा था
मेरी मदद कर ख़ुशी जता रहा था
तुम्हारे बिना मुझे कंपनी देता है


एक बात कहूं...
मै उसके साथ इमोशनली अटैच्ड हूँ
मेरे साथ उसको भी स्वीकार करो ना
तुम हम दोनों से प्यार करो ना 

Tuesday, August 30, 2011

ब्याह

उड़ती-उड़ती खबर मिली है
तुम्हारे गीतों और मेरी नज्मों
के बीच कुछ चल रहा है

वो बज़्म याद है
जब तुम्हारे गीत के साथ
उस शब् नज़्म ने जुगलबंदी की थी
हया झलक रही थी आँखों से
गीत बेशर्मी पे अमादा

संस्कार नहीं सिखाये तुमने !

एक ग़ज़ल ने कहा है  मुझसे
भरे भवन में आँखों से बात होती है
मुलाकाते, बातें  तय  होती  हैं
मै दोनों के रिश्ते की बात करने आई हूँ
अगली लग्न में ब्याह  करा देते है

मोहल्ले में काना-फूसी और नैन मटक्का बंद  :-)


माय री! सदके जाऊं मै
शफक सा सुर्ख लाल -पीला घाघरा
उस पर  हर्फो से ज़रिदारी
इस लफ्फाजी लिबाज़ में
जन्नत की अप्सरा फींकी

तुमने भी तो गीत की शेरवानी पे
बोल ऐसे टाँके है जैसे
जैसे हरसिंगार के फूल पर
ठहरा बसंत

बधाई हो! जन्नत सी  हो इनकी गृहस्ती

खुश हूँ बहुत
मुलाकात का जी चाहा तो  चली आई 
मालूम है तुम्हे ?
मेरी नज़्म हमिला है
जश्न  की  तैयारी  करो
अब तो बगिया में बहार आयेगी
मै चाहती हूँ एक नज़्म जन्मे ले
तुम चाहोगे के गीत आये

एक  दुआ  है  बस
रब्बा! जों भी दे तंदरुस्त दे

Tuesday, August 23, 2011

बावरी लड़की



घनघोर बारिश हुई बीते दो दिन
लेकिन आज सिर्फ  फुहारे गिरे
धूप से कहूं थोड़ी नरमी दिखाए
हवा हौले हौले बदन को छू सरक जाए


गुलमोहर बिछा  दूं रस्ते पे
बेलों को लहरा दूं थोडा
द्वार रंगोली बनाऊं
रुच-रुच आरती थाल सजाओं
खूब झूमूं, लजाऊँ, गुनगुनाऊ


कर लूं थोडा सा श्रृंगार
स्टोन वाली बिंदी जंचती है मुझ पर
काजल से चमक उठती  है आँखे मेरी
वो मेटेलिक कंगन जिसमे लाल,पीले और हरे स्टोन जड़े है
फब्दा  मुझ पर,
वार्डरोब खोले खड़ी हूँ
क्या पहनूं
जिसमें, सिंपल, सोबर और गुड लुकिंग लगूं
ये पर्पल कलर वाला अच्छा है
उनकी चोइस जैसा :-)


बस अब बंद करो संदेशे भेजना
शहर में रह कर इतनी दूरी अच्छी नहीं होती
नहीं होता इंतज़ार
जल्दी से आओ ना
ये बातूनी लड़की
बावरी हों चुकी है
तुम्हारी बाट जोहते-जोहते