Thursday, May 7, 2009

प्रीत की रीत


आँखों में चमक ,
बात - बात में दमक,
यू हीं लचक - लचक,
गोरी चाल चलने लगे।

आईने के संग,
देख अपने ही रंग,
केशो की भंवर,
गोरी आप गढ़ने लगे।

करके श्रृंगार,
होके सखियों के साथ,
गोरी बात - बेबात,
यू ही आहें भरने लगे।

सखी के सवाल,
उसे करे परेशान,
गोरी आँख नीची कर,
गाल लाल करने लगे।

खिली-खिली धूप,
जब सुहानी लगने लगे,
काली अँधेरी राते,
जब प्यारी लगने लगे।



इत - उत तक,
गोरी जब मुस्कुराने लगे,
बेख्याली में गोरी गुनगुनाने लगे,
बात - बेबात बस यूही शर्माने लगे,

कोई और नहीं रंग,
ये तो प्यार के हैं ढंग,
गोरी किसी गोरे नाल,
प्यार करने लगी ।

प्यार का ये रंग,
ये तो बड़ा ही दबंग,
छोड़ लोक - लाज,
गोरी आगे बढ़ने लगी ।





प्रीत की ये रीत ,
कोई नई नहीं चीज ,
ये तो कान्हा का है गीत ,
राधा बनी यही मीत।

मीरा का है संगीत,
सीता ने गया था गीत,
कोई गलत नहीं चीज,
बस निभाई हैं ये रीत ।

बस निभाई हैं ये रीत,
बस निभाई हैं ये रीत। ।

18 comments:

"अर्श" said...

प्रिया जी ,
बहोत ही खुबसूरत रचना ,बहोत ही प्यारी लगी ये आपकी रचना .. बहोत ही कोमल एहसासात डाले है अपने.. बहोत खूब बधाई..स्वीकारें..


अर्श

Dr. Zakir Ali Rajnish said...

प्रीत की रीत, दिल ले गयी जीत।

-----------
SBAI TSALIIM

रंजू भाटिया said...

सुन्दर लगी प्रीत की यह रीत

रश्मि प्रभा... said...

khoobsurat preet aur gori ke andaaj....

Vinay said...

बहुत सुन्दर कविताएँ लिखती हैं आप

---
चाँद, बादल और शामगुलाबी कोंपलें

Udan Tashtari said...

एक सुन्दर रचना के लिए बधाई.

Unknown said...

achhi lagi

नवनीत नीरव said...

Prem geet aur lok kala ka yah bahut hi achchha sangam hai yah kavita. Mujhe bahut hi pasand aayi.
Nanvit Nirav

जयंत - समर शेष said...

"खिली खिली धुप,
जब सुहानी लगने लगे..."

क्या बात है..
कुछ तो बात है..
ये नया अंदाज है..
क्या राज है..

(भई, जैसे गोरी को सखियाँ छेदती हैं, हमने भी छेड़ दिया... )

~जयंत

आशुतोष कुमार सिंह said...

priya ji hum nahi jante ki aapke rachna ka prerna srot kaun hai. par jo bhi hai sachmuch gajab ka hai. aapki lekhni aur aapki dayary ko sadhuwad jiske sangam se itne sunder aur kasak bhare shabd nikal rahe hain.
Ashutosh Kumar Singh
91-9891798609

Vandana Singh said...

wah pryanka bahut khoob .... maja aa gaya sach me ....

Mumukshh Ki Rachanain said...

ये तो कान्हा का है गीत
राधा बनी यही मीत
मीरा का है संगीत
सीता ने गया था गीत
कोई गलत नहीं चीज़
बस निभाई है यह रीत

प्यार की अनुभूतियों के होते ही होने वाले प्राकृतिक परिवर्तनों का सुन्दर सजीव चित्रण और समर्थन में दी उपरोक्त अभिव्यक्ति का कोई जवाब नहीं.

एक अत्यधिक सुन्दर रसभरी रचना प्रस्तुति का आभार.

चन्द्र मोहन गुप्त

नीरज गोस्वामी said...

बड़ा खूबसूरत अंदाज़ है जी आपका...बहुत अच्छी रचना...बधाई...
नीरज

शोभना चौरे said...

priyaji
mai apke blog par phli bar hi ai hu .jaynt chodhriji ke blog se apke blog pr ai hu .maine apke may mah ki
rachnaye pdhi bhut acha likhti hai ap .
preet ki pavitrta ko bhut sudar dhang se nikhara hai apne .bdhai
shobhana

डा0 हेमंत कुमार ♠ Dr Hemant Kumar said...

प्रिया जी ,
बहुत खूबसूरत कविता ..सरल शब्दों में अच्छी अभिव्यक्ति ..
हेमंत कुमार

दिलीप कवठेकर said...

खूबसूरत कलेवर लिये कविता...फ़ूलों की मेहक लिये, इंद्रधनुषी रंगों की फ़ुहार लिये , भक्तिपूर्ण प्रेमरस की गंगा बहाती हुई रचना...

बधाई.

डॉ. मनोज मिश्र said...

khoob soorat rachna .

Apanatva said...

bahut sunder rachana.