tag:blogger.com,1999:blog-8985595612072446406.post4978837959395595309..comments2024-01-07T05:41:16.379-08:00Comments on एक नीड़ ख्वाबों,ख्यालों और ख्वाहिशों का: आई ऑब्जेक्ट ऑनर किल्लिंग / I Object Honour Killingप्रियाhttp://www.blogger.com/profile/04663779807108466146noreply@blogger.comBlogger28125tag:blogger.com,1999:blog-8985595612072446406.post-46810981559278639222010-06-26T04:41:12.624-07:002010-06-26T04:41:12.624-07:00मैं एक बात पूछना चाहता हुईं की जो आजकल की औलाद कर ...मैं एक बात पूछना चाहता हुईं की जो आजकल की औलाद कर रही है वो ठीक है क्या,<br />पूरी उम्र जिस माँ - बाप ने अपनी इच्छाएं को दबाकर जो अपने बच्चो को पालपोसकर बड़ा करते है , वही औलाद सिर्फ के अपने स्वार्थ के लिए अपने सभी रिश्ते भूल २ दिन के प्यार में पड़कर भुलादेते है !<br />उनको बुरा खाने वाला कोई नही है यहाँ पर न ही मीडिया मेंSomeOnehttps://www.blogger.com/profile/14159813226850989502noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8985595612072446406.post-53711883806066347832010-06-16T10:32:10.715-07:002010-06-16T10:32:10.715-07:00ऐसी कवितायें ना लिखा करें..मन को चोट पहुंचती है और...ऐसी कवितायें ना लिखा करें..मन को चोट पहुंचती है और मन उद्दवेलित हो जाता है..<br />क्या करें... कुछ हैं जंगली लोग जो आज भी जंगल का राज चलाना चाहते हैं!!<br /><br />पीड़ा हुयी इसे पढ़कर... जब मेरा खुदा अलग तो दिल कैसे मिला!<br />सुन्दर!!<br /><br />जयंतजयंत - समर शेषhttps://www.blogger.com/profile/13334653461188965082noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8985595612072446406.post-51846358436436236572010-06-13T21:06:48.726-07:002010-06-13T21:06:48.726-07:00sahi baat kahi aapne, andar tak kuchh dol gayasahi baat kahi aapne, andar tak kuchh dol gayaAvinash Chandrahttps://www.blogger.com/profile/01556980533767425818noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8985595612072446406.post-75048077118648434482010-06-11T02:02:10.395-07:002010-06-11T02:02:10.395-07:00बहुत गजब की कविता लिखी है प्रिया आपने.. बहुत सुन्द...बहुत गजब की कविता लिखी है प्रिया आपने.. बहुत सुन्दर पंक्तियाँ है.. 'अब जीकर एक अनूठा अनुबंध करते है........ उसी लौ से मांग सजाऊँगी' - अत्यंत खुबसूरत. <br />कृपया मेरे ब्लॉग को भी पढ़ें .Nishahttps://www.blogger.com/profile/02781105745982946511noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8985595612072446406.post-17946025328028231622010-06-08T09:49:17.081-07:002010-06-08T09:49:17.081-07:00@ ऋचा ...ये तरीका बुरा है इसमें तो हम एकमत हैं बदल...@ ऋचा ...ये तरीका बुरा है इसमें तो हम एकमत हैं बदलाव तो हम सभी चाहते हैं......चलो हम हमख्याल नहीं हमसफ़र ही सही......सैकड़ो साल लग जाए शायद स्वस्थ समाज बनाने में ...हमने हमारी रचना के किरदारों से त्याग करा दिया ...निर्माता , निर्देशक हम ...सो कुछ भी कर सकते हैं :-) तुम चाहो तो इसी सब्जेक्ट को अपने अनुसार निर्देशित कर सकती हो :-)प्रियाhttps://www.blogger.com/profile/04663779807108466146noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8985595612072446406.post-26093011082109924512010-06-08T05:04:34.442-07:002010-06-08T05:04:34.442-07:00ati sunder har ek rachna aapki alag trah hi hoti h...ati sunder har ek rachna aapki alag trah hi hoti hai ...bahut sunder likha hai aapneअलीम आज़मीhttps://www.blogger.com/profile/15152383412965088352noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8985595612072446406.post-82693465540966732152010-06-08T04:26:33.308-07:002010-06-08T04:26:33.308-07:00Jitni bhi tareef ki jaye...kam hogi .
Beautiful c...Jitni bhi tareef ki jaye...kam hogi .<br /><br />Beautiful creation !ZEALhttps://www.blogger.com/profile/04046257625059781313noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8985595612072446406.post-23224834287844181562010-06-08T03:42:52.755-07:002010-06-08T03:42:52.755-07:00i tooi tooमाधव( Madhav)https://www.blogger.com/profile/07993697625251806552noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8985595612072446406.post-73158908234311606022010-06-07T22:50:37.003-07:002010-06-07T22:50:37.003-07:00pata nahi kitne masle aankhon samne ghum gaye...nb...pata nahi kitne masle aankhon samne ghum gaye...nba jaane kitni khabron ko kavita ka roop de diya hai aapne... zabardast presentation ..par kavita ka kathya is kavita se jyada mahtvapurn hai ...स्वप्निल तिवारीhttps://www.blogger.com/profile/17439788358212302769noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8985595612072446406.post-22605776217613667382010-06-07T22:41:11.962-07:002010-06-07T22:41:11.962-07:00ऑनर किलिंग शायद ऑनर के लिए किलिंग , कोई पूछे इनसे ...ऑनर किलिंग शायद ऑनर के लिए किलिंग , कोई पूछे इनसे कि जिस ऑनर के लिए हत्या की क्या वही ऑनर इनके पास खून करने के बाद भी बच रहता है ...और चौराहे पर जो नीलामी होती है इज्जत की ...दूर तक नन्हीं जानों की आवाजें क्या पीछा नहीं करतीं ...<br />आपकी कविता क्या कहने , मै तेरी बस्ती की बेटी नहीं ...शायद किसी बाप के सीने में तूफ़ान उठे ...शारदा अरोराhttps://www.blogger.com/profile/06240128734388267371noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8985595612072446406.post-27478128704164653672010-06-07T21:02:06.795-07:002010-06-07T21:02:06.795-07:00...बहुत मिठास है !!!
SUNDAR RACHNA...बहुत मिठास है !!!<br /><br />SUNDAR RACHNAShekhar Kumawathttps://www.blogger.com/profile/13064575601344868349noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8985595612072446406.post-77741191752467259642010-06-07T12:51:20.827-07:002010-06-07T12:51:20.827-07:00@ priya हमने भी तो यही कहा... विरोध हमारा भी इन्ही...@ priya हमने भी तो यही कहा... विरोध हमारा भी इन्ही रुढ़िवादी परम्पराओं, रस्मों और दोगले समाज से है जो सो कॉल्ड "ऑनर" के नाम पे लोगों की हत्या करने से भी नहीं हिचकिचाते... हाँ बस इस विरोध में हमारा एक विरोध आज के उन युवाओं से भी है जो चुपचाप सब सह लेते हैं और मौन आहुति दे देते हैं अपने प्यार की जैसा की तुमने कहा ये एक हल हो सकता है कुल का सम्मान बचाने का, अपने जन्मदाता को ख़ुश रखने का और ऋणमुक्त होने का... तुमने पूछा - क्यों गोत्र, जाति या धर्म के नाम पर उस व्यक्ति को अपनाया जाए जिससे आपका मन नहीं मिलता .....ऐसे तो चार लोगों की जिंदगी नरक बन जायेगी... बिलकुल सही है... हमने भी नहीं कहा की अपना लो... विवाह जैसी संस्था के नाम पर इक्षा के विपरीत लड़के - लड़की को बलिदान करना भी सरासर ज़्यादती है... पर तुम्हें क्या लगता है ये मौन त्याग करने से ये रुढ़िवादी समाज मान जाएगा ? क्या उस लड़के या लड़की का तब ज़बरदस्ती विवाह कहीं और नहीं करा जाएगा ? क्या तब वो ज़िन्दिगियाँ नरक बनने से बच जायेंगी ? हमें तो नहीं लगता... जहाँ तक समाधान की बात है एक हमारी या तुम्हारी सोच से समाज नहीं बदलेगा... बरसों से चली आ रही परम्परायें यूँ पलों में नहीं बदली जा सकती... वैसे पहले के मुकाबले कुछ बदलाव तो आया है सोच में ये तो तुम भी मानोगी... थोड़ा समय देना होगा... समाज में और जागरूकता लानी होगी... एकजुट होके विरोध करना होगा... और ज़रुरत पड़ी तो शायद विद्रोह भी... कठिन है पर नामुमकिन नहीं... ये समाज भी बदलेगा एक दिन अगर हम बदलना चाहें तो...richahttps://www.blogger.com/profile/17341853830091317236noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8985595612072446406.post-39653998787304290612010-06-07T10:24:22.229-07:002010-06-07T10:24:22.229-07:00@ Richa यहाँ विरोध ऐसी हत्याओ की लिए मीडिया द्वारा...@ Richa यहाँ विरोध ऐसी हत्याओ की लिए मीडिया द्वारा इस्तेमाल शब्द ऑनर किल्लिंग और रूढ़वादी रस्मो और परम्पराओं से हैं <br /><br />जो मारते हैं झूठे सम्मान के नाम पर वो सगे ही होते हैं , पराये नहीं .........बात त्याग की नहीं हैं ना ही ऋणमुक्ति की .......बात है उस परम्परा और सामाजिक विचारधारा की जहाँ सिर्फ शारीरक प्रताड़ना नहीं दी जाती बल्कि मानसिक क्रूरता भी की जाती है ....क्यों गोत्र, जाति या धर्म के नाम पर उस व्यक्ति को अपनाया जाए जिससे आपका मन नहीं मिलता .....ऐसे तो चार लोगों की जिंदगी नरक बन जायेगी .........विवाह जैसी संस्था के नाम पर इच्क्षा के विपरीत लड़के - लड़की को बलिदान करना भी ज्यादती नहीं है क्या ? फिर समाधान क्या होगा?....बेहतर होता अगर तुम समाधान भी बताती.प्रियाhttps://www.blogger.com/profile/04663779807108466146noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8985595612072446406.post-80667029000312322782010-06-07T03:41:46.368-07:002010-06-07T03:41:46.368-07:00प्यार त्याग मांगता है पर कब तक आख़िर ??? अपनों से ...प्यार त्याग मांगता है पर कब तक आख़िर ??? अपनों से बगावत नहीं कर सकते आप सच है... ये हमारे संस्कार हैं... पर इस प्यार को अपना लेने पर सिर्फ़ अपनी झूठी प्रतिष्ठा और दोगले, स्वार्थी समाज के लिये किसी की यूँ निर्ममता से हत्या कर देना ये कहाँ का न्याय है... ऐसे संस्कार तो कोई भी धर्म नहीं देता... फिर क्यूँ ऐसे दोगले समाज के लिये हमेशा प्यार ही त्याग करे... इस तरह मौन आहुति देकर दुनिया की नज़रों में महान बनकर किसे क्या साबित कर सकते हैं हम... क्या वाकई ऋण मुक्त हो सकते हैं हम... और इसपर भी क्या कोई समझेगा... परित्याग कर के विरोध जताने का ये क्या तरीका है... Sorry... but I object both...<br />हाँ प्रेज़ेन्टेशन और अभिव्यक्ति बहुत अच्छी है... उसमे कोई if.. but.. नहीं :)richahttps://www.blogger.com/profile/17341853830091317236noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8985595612072446406.post-90481159864115386682010-06-07T03:06:34.186-07:002010-06-07T03:06:34.186-07:00disabled candidates ke liye aajkal differentially ...disabled candidates ke liye aajkal differentially abled term use kiya ja raha hai...main is baat se sehmat hoon ki kis baat ke liye kis shabd ka prayog ho raha hai uski apni ek ahamiyat hai....aur aapki baat sahi hai ki yahan par parivartan k zaroorat hai...is behad niraashajank kriyaa ko "honour" shabd se nahi jod sakteSajal Ehsaashttps://www.blogger.com/profile/03532103149883910427noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8985595612072446406.post-67697909273869541912010-06-06T22:47:56.732-07:002010-06-06T22:47:56.732-07:00Priya,
You have raised this sensitive topic so be...Priya,<br /><br />You have raised this sensitive topic so beautifully that no one else could have ever done. I am really at a loss of words to praise this one from you!<br /><br />Truly Genereous, Great and Glorified composition from your magical pen.<br /><br />Thanks for sharing this.सुरेन्द्र "मुल्हिद"https://www.blogger.com/profile/00509168515861229579noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8985595612072446406.post-88462938115014268852010-06-06T12:54:46.989-07:002010-06-06T12:54:46.989-07:00मर्मस्पर्शी रचना जो कही न कही मन मे आक्रोश भी भर द...मर्मस्पर्शी रचना जो कही न कही मन मे आक्रोश भी भर देती है...मीनाक्षीhttps://www.blogger.com/profile/06278779055250811255noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8985595612072446406.post-40360174215773152952010-06-06T10:46:29.777-07:002010-06-06T10:46:29.777-07:00वाह प्रिय क्या खूब लिखा है इसको पढ़कर मुझे मेरी एक...वाह प्रिय क्या खूब लिखा है इसको पढ़कर मुझे मेरी एक पुरानी पोस्ट याद आ गई "प्रपंच"<br /> <br /> "प्रपंच"<br /><br />दर्द की दीवार हैं, <br /><br />सुधियों के रौशनदान. <br /><br />वेदना के द्वार पर, <br /><br />सिसकी के बंदनवार. <br /><br />स्मृतियों के स्वस्तिक रचे हैं. <br /><br />अश्रु के गणेश. <br /><br />आज मेरे गेह आना, <br /><br />इक प्रसंग है विशेष.<br /><br />द्वेष के मलिन टाट पर, <br /><br />दंभ की पंगत सजेगी.<br /><br />अहम् के हवन कुन्ड में,<br /><br />आशा की आहुति जलेगी.<br /><br />दूर बैठ तुम सब यहाँ <br /><br />गाना अमंगल गीत, <br /><br />यातना और टीस की, <br /><br />जब होगी यहाँ पर प्रीत. <br /><br />पोर पोर पुरवाई पहुंचाएगी पीर. <br /><br />होंगे बलिदान यहाँ इक राँझा औ हीर.<br /><br />खाप पंचायत बदलेगी,<br /> <br />आज दो माँओं की तकदीर.रचना दीक्षितhttps://www.blogger.com/profile/10298077073448653913noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8985595612072446406.post-270173127303197292010-06-06T05:55:33.669-07:002010-06-06T05:55:33.669-07:00pata nahi ye tyaag parampra apne hi desh me kyooon...pata nahi ye tyaag parampra apne hi desh me kyooon joro par hai :(...bahut bahut acchi lagi ye past ....:)Vandana Singhhttps://www.blogger.com/profile/14920537433543551573noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8985595612072446406.post-82613532328663773142010-06-06T04:36:27.553-07:002010-06-06T04:36:27.553-07:00bilkul tik...isse adhik aur kya kaha jae..... khi ...bilkul tik...isse adhik aur kya kaha jae..... khi suna hai maine.<br /><br />Radhakrishna ki murti hr ghar me dekhi jati hai..<br />do premio ke milne pe fansi de dee jati hai..संजय पाराशरhttps://www.blogger.com/profile/04828183013579900184noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8985595612072446406.post-19245611787142227752010-06-06T03:51:13.642-07:002010-06-06T03:51:13.642-07:00लाजवाब अभिव्यक्ति ... प्यार तो किसी भी त्राह से जु...लाजवाब अभिव्यक्ति ... प्यार तो किसी भी त्राह से जुर्म नही हो सकता ... जिसके दिल में प्यार बस्ता है ऊपर वाला वहें रहता है ... जाने कब समझेंगे ये लोग ....दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8985595612072446406.post-60810357082306850582010-06-06T03:10:00.703-07:002010-06-06T03:10:00.703-07:00एक नारी के हृदय से एक खोखली परम्परा का विद्रोह है ...एक नारी के हृदय से एक खोखली परम्परा का विद्रोह है आपकी पंक्तियाँ...हालाँकि आपने इस पोस्टको लेबेल दिया है विरोध… यह विरोध नहीं, विद्रोह है!! एक सकारात्मक विद्रोह...सम्वेदना के स्वरhttps://www.blogger.com/profile/12766553357942508996noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8985595612072446406.post-81578656250428891392010-06-06T03:07:35.354-07:002010-06-06T03:07:35.354-07:00किसी की हत्या किसी भी रूप में की गई हो, कब से सम्म...किसी की हत्या किसी भी रूप में की गई हो, कब से सम्मान की पात्र हो गयी, यह तो मैंने अखबारों से जाना। मैं विगत तीन दशक से पत्रकारिता में हूं और हत्या को सिर्फ हत्या ही लिखा है, सम्मानजनक और असम्मानजनक नहीं। आॅनर किलर लिखकर मुझे लगता है कि कहीं न कहीं दोषियों की तरफदारी की जा रही है। इस पर आपकी लिखी कविता ने मेरा मन छू लिया है। मेरी एक बेटी है लगभग दस वर्ष की। इस कविता में मैं उसका अक्स देखता हूं। ईश्वर ना करे कभी मेरी बिटिया को इस कविता से गुजर कर जाना पड़े। एक बार फिर आपको मेरी तरफ से धन्यवाद।<br /><br />मनोज कुमार<br /><br />स्वतंत्र पत्रकार एवं मीडिया अध्येताManoj Kumarhttps://www.blogger.com/profile/07148316160659906464noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8985595612072446406.post-32311817571598621792010-06-06T03:07:35.355-07:002010-06-06T03:07:35.355-07:00किसी की हत्या किसी भी रूप में की गई हो, कब से सम्म...किसी की हत्या किसी भी रूप में की गई हो, कब से सम्मान की पात्र हो गयी, यह तो मैंने अखबारों से जाना। मैं विगत तीन दशक से पत्रकारिता में हूं और हत्या को सिर्फ हत्या ही लिखा है, सम्मानजनक और असम्मानजनक नहीं। आॅनर किलर लिखकर मुझे लगता है कि कहीं न कहीं दोषियों की तरफदारी की जा रही है। इस पर आपकी लिखी कविता ने मेरा मन छू लिया है। मेरी एक बेटी है लगभग दस वर्ष की। इस कविता में मैं उसका अक्स देखता हूं। ईश्वर ना करे कभी मेरी बिटिया को इस कविता से गुजर कर जाना पड़े। एक बार फिर आपको मेरी तरफ से धन्यवाद।<br /><br />मनोज कुमार<br /><br />स्वतंत्र पत्रकार एवं मीडिया अध्येताManoj Kumarhttps://www.blogger.com/profile/07148316160659906464noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8985595612072446406.post-899524111483590872010-06-06T02:45:50.496-07:002010-06-06T02:45:50.496-07:00सादर!
बेहद सुन्दर रचना |
रत्नेशसादर!<br />बेहद सुन्दर रचना |<br />रत्नेशaaryahttps://www.blogger.com/profile/08420022724928147307noreply@blogger.com