
जिंदगी का साथ जारी है
एक रहनुमा का इंतज़ार जारी हैं
रास्ते लम्बे लगते है
मुसलसल तलाश जारी है।
ठिठक सी गई हूँ वक़्त के तकाज़ों से,
हर तजुर्बे से दोस्ती कर ली
साथ देगा मेरा ये ताउम्र
ये यकीन तो अब भी जारी हैं ।
जिए जाना फितरत हमारी हैं
कब , क्यों , कहाँ कैसे क्या होगा ,
अब इनको दूंदना आदत हमारी हैं
ढूँढने में वक़्त जाया किया है हमने
अब तो उम्र इन सवालों से हारी हैं।
मात का साथ जिंदगी ने छोड़ा कहाँ ,
कमबख्त फतह तक सवाली हैं
आ तू मुझे आज़मा जिंदगी
मैंने शख्सियत को पोशीदा किया है
खिज़ा के मौसमो में भी बहारो को जिया है।
सोचती हूँ जो तू मुझे ढूढती हुई कभी
आ जाये जो मेरे रूबरू कभी
मैं तकसीम कर लूं खुद को तो
धोखा होगा तुझे ऐ सुन जरा जिंदगी।
जिंदगी तू तो मेरी बंदिनी है बनी
सोचती है तू अफसुर्दा करके मुझे चलती बनी
सूखे फूलों में खुसबू अब तक महफूज़ है
सूंघ कर उनको मै हँस पड़ी
देख - देख ग़मज़दा हो मै कैसे जी
इंसा हूँ मै कोई खुदा तो नहीं
बना कर मुझे वो भी हैरान है
फिर तेरा क्या हौसला सुन जरा ऐ जिंदगी।
**********************
अफसुर्दा- दुखी
रास्ते लम्बे लगते है
मुसलसल तलाश जारी है।
ठिठक सी गई हूँ वक़्त के तकाज़ों से,
हर तजुर्बे से दोस्ती कर ली
साथ देगा मेरा ये ताउम्र
ये यकीन तो अब भी जारी हैं ।
जिए जाना फितरत हमारी हैं
कब , क्यों , कहाँ कैसे क्या होगा ,
अब इनको दूंदना आदत हमारी हैं
ढूँढने में वक़्त जाया किया है हमने
अब तो उम्र इन सवालों से हारी हैं।
मात का साथ जिंदगी ने छोड़ा कहाँ ,
कमबख्त फतह तक सवाली हैं
आ तू मुझे आज़मा जिंदगी
मैंने शख्सियत को पोशीदा किया है
खिज़ा के मौसमो में भी बहारो को जिया है।
सोचती हूँ जो तू मुझे ढूढती हुई कभी
आ जाये जो मेरे रूबरू कभी
मैं तकसीम कर लूं खुद को तो
धोखा होगा तुझे ऐ सुन जरा जिंदगी।
जिंदगी तू तो मेरी बंदिनी है बनी
सोचती है तू अफसुर्दा करके मुझे चलती बनी
सूखे फूलों में खुसबू अब तक महफूज़ है
सूंघ कर उनको मै हँस पड़ी
देख - देख ग़मज़दा हो मै कैसे जी
इंसा हूँ मै कोई खुदा तो नहीं
बना कर मुझे वो भी हैरान है
फिर तेरा क्या हौसला सुन जरा ऐ जिंदगी।
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अफसुर्दा- दुखी