सोचा था .....खुद को दूर रखेगे ब्लॉग से....नहीं लिखेंगे कोई रचना ....ब्लॉग्गिंग से दूसरे जरूरी कार्यों पर असर होता है .....पर कविता कहाँ दूर रहती है आपसे ... वो तो हर पल साथ होती है कभी जिंदगी, कभी साया, कभी तजुर्बा तो कभी हमसफ़र बनकर .....नहीं रख पाए हम खुद को कविता से दूर.... इसलिए हाज़िर हैं एक बार फिर आप सबके बीच अपनी जिंदगी के सिर्फ तीस मिनट लेकर.......हम उम्मीद करते हैकि हमारी जिंदगी का ये आधा घंटा रास आएगा आपको :-)


सर्दियों में न शब् जल्दी आ जाया करती है
ऑफिस से घर लौटते वक़्त अँधेरा हो जाता है
सड़क पर चारो तरफ भीड़ ...
ट्रैफिक का शोर....
तकरीबन तीस मिनट लगते है रास्ता तय करने में......
कोई है ! जो मेरा हमसफ़र बनता है इस बीच
कल देखा था आसमां पर
जब पीले- पीले बदन पर
लाल साफा बाँध कर आया था
बस! देखा किये उसे हम।
रास्ते भर लुका-छिपी चली हमारी
बैरी इमारते बीच में आ जाती हैं हमारे
रोज़ घर तक पहुंचा जाता है हमको
फिर हम मुस्कुरा कर जुदा होते हैं एक दूजे से।
जीवन की उहा-पोह में...
हमनवां के साथ गुज़रे वो तीस मिनट
कुछ अरमां, कुछ सपने दे जाते हैं
जो ऊर्जा बन पूरे दिन साथ रहते हैं
और फिर
नज़्म बन कागज़ पर छा जाते हैं।
सुनो चाँद! कल न.....
काला टीका लगा कर आना
सरेआम तुझसे मोहब्बत का इकरार किया है हमने
डर है ज़माने की नज़र न लग जाये॥

ऑफिस से घर लौटते वक़्त अँधेरा हो जाता है
सड़क पर चारो तरफ भीड़ ...
ट्रैफिक का शोर....
तकरीबन तीस मिनट लगते है रास्ता तय करने में......
कोई है ! जो मेरा हमसफ़र बनता है इस बीच
कल देखा था आसमां पर
जब पीले- पीले बदन पर
लाल साफा बाँध कर आया था
बस! देखा किये उसे हम।
रास्ते भर लुका-छिपी चली हमारी
बैरी इमारते बीच में आ जाती हैं हमारे
रोज़ घर तक पहुंचा जाता है हमको
फिर हम मुस्कुरा कर जुदा होते हैं एक दूजे से।
जीवन की उहा-पोह में...
हमनवां के साथ गुज़रे वो तीस मिनट
कुछ अरमां, कुछ सपने दे जाते हैं
जो ऊर्जा बन पूरे दिन साथ रहते हैं
और फिर
नज़्म बन कागज़ पर छा जाते हैं।
सुनो चाँद! कल न.....
काला टीका लगा कर आना
सरेआम तुझसे मोहब्बत का इकरार किया है हमने
डर है ज़माने की नज़र न लग जाये॥

"प्रिया चित्रांशी "