लकीरों और तकदीरों में अजब मेल होता है
हमारे हाथो में भी मुकम्मल खेल होता है
एक पतली सी रेखा बदलती है जिंदगानी कर रुख
क्या कोई सच भी इतना संगीन होता है
अगर मै कहूं
मैंने लकीरों को बोलते देखा
तकदीरों को तौलते देखा
लोगों को हास-परिहास का मुद्दा मिल जायेगा
कुछ लोगो का वक़्त मुस्कुरा कर कट जायेगा
एक बार ह्रदय रेखा ने भाग्य रेखा पर कसीदा कसा
तेरे भरोसे कुछ को समंदर मिला
और कुछ को पीर का बवंडर मिला
भाग्य रेखा चुप रहे ऐसा मुमकिन न था
उसने भी दिल की लकीर पर तंज कसा
तुमने भी तो अफरा- तफरी मचाई है
सदा हकीक़त से नज़रे चुराई है
मोहब्बत के खेल खेले हैं
जुदाई के दंश झेले हैं
भावो के समंदर दिखाए हैं
जज़्बातों के सैलाब आये हैं
तेरे ही कारण दिल हमेशा मात खाया है
अक्सर लोगो को हार्ट अटैक आया है
मस्तिष्क रेखा सुन चुप न रह सकी
बात-चीत की महफ़िल में उसने शिरकत की
पहली बार उसने दिल का हाथ थामा
दिल के सारे व्यवहारों का कारण खुद को माना
वैज्ञानिक चुनातियों के तर्क दे डाले
दिल के सारे हाल दिमाग से कह डाले
जीवन रेखा ने सारे वक्तव्यों को ध्यान से सुना,
खामोश तंत्रा में ही एक जाल बुना
जीवन की घड़ी एकाएक थम गई,
कड़ियाँ रफ्ता-रफ्ता बिखर गई
अब कोई इल्जाम न था
न सामे
न शाकी
न सुखनवर था
जो मरा था वो कभी जिया ही नहीं
जीवन का रस उसने कभी पिया ही नहीं
मौत ने आकर मुन्सफी कर दी
अब मर कर जियेगा कुछ दिन,
कुछ रिश्तो में
ज़ुबानो में
यादों में
हमारे हाथो में भी मुकम्मल खेल होता है
एक पतली सी रेखा बदलती है जिंदगानी कर रुख
क्या कोई सच भी इतना संगीन होता है
अगर मै कहूं
मैंने लकीरों को बोलते देखा
तकदीरों को तौलते देखा
लोगों को हास-परिहास का मुद्दा मिल जायेगा
कुछ लोगो का वक़्त मुस्कुरा कर कट जायेगा
एक बार ह्रदय रेखा ने भाग्य रेखा पर कसीदा कसा
तेरे भरोसे कुछ को समंदर मिला
और कुछ को पीर का बवंडर मिला
भाग्य रेखा चुप रहे ऐसा मुमकिन न था
उसने भी दिल की लकीर पर तंज कसा
तुमने भी तो अफरा- तफरी मचाई है
सदा हकीक़त से नज़रे चुराई है
मोहब्बत के खेल खेले हैं
जुदाई के दंश झेले हैं
भावो के समंदर दिखाए हैं
जज़्बातों के सैलाब आये हैं
तेरे ही कारण दिल हमेशा मात खाया है
अक्सर लोगो को हार्ट अटैक आया है
मस्तिष्क रेखा सुन चुप न रह सकी
बात-चीत की महफ़िल में उसने शिरकत की
पहली बार उसने दिल का हाथ थामा
दिल के सारे व्यवहारों का कारण खुद को माना
वैज्ञानिक चुनातियों के तर्क दे डाले
दिल के सारे हाल दिमाग से कह डाले
जीवन रेखा ने सारे वक्तव्यों को ध्यान से सुना,
खामोश तंत्रा में ही एक जाल बुना
जीवन की घड़ी एकाएक थम गई,
कड़ियाँ रफ्ता-रफ्ता बिखर गई
अब कोई इल्जाम न था
न सामे
न शाकी
न सुखनवर था
जो मरा था वो कभी जिया ही नहीं
जीवन का रस उसने कभी पिया ही नहीं
मौत ने आकर मुन्सफी कर दी
अब मर कर जियेगा कुछ दिन,
कुछ रिश्तो में
ज़ुबानो में
यादों में