तुम्हारे गीतों और मेरी नज्मों
के बीच कुछ चल रहा है
वो बज़्म याद है
जब तुम्हारे गीत के साथ
उस शब् नज़्म ने जुगलबंदी की थी
हया झलक रही थी आँखों से
गीत बेशर्मी पे अमादा
संस्कार नहीं सिखाये तुमने !
एक ग़ज़ल ने कहा है मुझसे
भरे भवन में आँखों से बात होती है
मुलाकाते, बातें तय होती हैं
मै दोनों के रिश्ते की बात करने आई हूँ
अगली लग्न में ब्याह करा देते है
मोहल्ले में काना-फूसी और नैन मटक्का बंद :-)
माय री! सदके जाऊं मै
के बीच कुछ चल रहा है
वो बज़्म याद है
जब तुम्हारे गीत के साथ
उस शब् नज़्म ने जुगलबंदी की थी
हया झलक रही थी आँखों से
गीत बेशर्मी पे अमादा
संस्कार नहीं सिखाये तुमने !
एक ग़ज़ल ने कहा है मुझसे
भरे भवन में आँखों से बात होती है
मुलाकाते, बातें तय होती हैं
मै दोनों के रिश्ते की बात करने आई हूँ
अगली लग्न में ब्याह करा देते है
मोहल्ले में काना-फूसी और नैन मटक्का बंद :-)
माय री! सदके जाऊं मै
शफक सा सुर्ख लाल -पीला घाघरा
उस पर हर्फो से ज़रिदारी
इस लफ्फाजी लिबाज़ में
जन्नत की अप्सरा फींकी
उस पर हर्फो से ज़रिदारी
इस लफ्फाजी लिबाज़ में
जन्नत की अप्सरा फींकी
बोल ऐसे टाँके है जैसे
जैसे हरसिंगार के फूल पर
ठहरा बसंत
बधाई हो! जन्नत सी हो इनकी गृहस्ती
खुश हूँ बहुत
मुलाकात का जी चाहा तो चली आई
मालूम है तुम्हे ?
मेरी नज़्म हमिला है
जश्न की तैयारी करो
अब तो बगिया में बहार आयेगी
मै चाहती हूँ एक नज़्म जन्मे ले
तुम चाहोगे के गीत आये
एक दुआ है बस
रब्बा! जों भी दे तंदरुस्त दे
14 comments:
are main sadke jawan...
हमें अभी तक ब्याह की दावत भी नहीं मिली और नज़्म हामिला भी हो गई... ना ना, ऐसे तो नहीं चलेगा जी... मिलो इस बार सारे ड्यूज़ क्लिअर करवाते हैं :)
P.S. : रब्बा! जों भी दे तंदरुस्त दे !! :):):)
dekho yaar ham to ek dam dhdaam se slip hue hain ...:P... vaise nipatt hain tumse fursat me :)
कुछ अलग सी रचना जो दिल छू लेती है.
यदि मीडिया और ब्लॉग जगत में अन्ना हजारे के समाचारों की एकरसता से ऊब गए हों तो कृपया मन को झकझोरने वाले मौलिक, विचारोत्तेजक आलेख हेतु पढ़ें
अन्ना हजारे के बहाने ...... आत्म मंथन http://no-bharat-ratna-to-sachin.blogspot.com/
Bada hi khatarnaak description hai ek shadi and routine comments ka.
इसे चिराग क्यों कहते हो?
दिल को छू गयी यह रचना. अद्बुत.
. : रब्बा! जों भी दे तंदरुस्त दे !! :):):)
Aameen !!
देर से आने के लिए मुआफी ....लिखना बंद नहीं करना .....पढना भी...रूह को खुराक की जरुरत रहती है
प्रिय आज पहली बार आपके ब्लॉग पर आना हुआ और आकर दोनों ब्लॉग को टटोला .बड़ा खूबसूरत लिखती हैं आप .इसे सिर्फ करने के लिए की हुई तारीफ मत समझना आकर सच में अच्छा लगा.और अब जल्दी जाने का भी मन नहीं है सोचती हू थोडा ठहर जाऊ और आपके बिखेरे हुए पुराने मोतियों को समेट लू.....खुदा करे आप हमेशा एसे ही लिखे...
कनुप्रिया
www.meriparwaz.blogspot.com
tumhare geeto aur meri nazmo ke beech kuch chal raha hai...................
mai chahti hoo ek nazm janm le
tum chahoge k geet aaye
Sach aapke zaham se nikle huye har ek lbza par sari raat gujari ja sakti hai,har bar ek naya matlab nikalta hai... Vaha
कहाँ हैं प्रिया जी ??? एक मुद्दत हुई आपकी कलम से मिले…… !!!!!!!!!!
bahut khoob kahi...
नज़्म और गीतों के विवाह को कई बरस हो गए । अब तो हँसता खेलता परिवार होगा । बहुत खूब ।
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