Friday, June 18, 2010

ओ मेरे मानसून!

हमारे लखनऊ में अब तक मानसून नहीं आया .....गर्मी से हाल बेहाल है और ऊपर से ह्यूमिडिटी ...उफ्फ्फ जानलेवा ....हवा को भी ऐतराज़ है बहती नहीं आजकल. मूड हुआ तो लू बन उडती फिरती है ....शाम ठंडी बयार बन नहीं बरसती .....तो मोरल ऑफ़ द स्टोरी ये है की मौसम ने हमें दुखी कर रखा है....... बुला रहे हैं मानसून को शायद सुन ले मेरी पुकार ....लेकिन बैलेंस बना के आना और टाइम से वापस भी चले जाना...ज्यादा मेज़बानी नहीं होगी हमसे :-)



बड़ी व्याकुलता है दिल में मेरे
किस तरह छुपाऊं खुद को ?
खूबसूरत हूँ मैं
इसमें मेरा दोष नहीं
और तुम हो कि
जरा भी होश नहीं

वृक्ष लहरा- लहरा घटा को बता देते हैं
बादल गरज-गरज मुझे छेड़ जाते हैं
हवा बदन को छू केशो से खेल जाती है
वारिधि के इशारे पर
दामिनी तड़ित हो मेरा चित्र खींच ले जाती हैं






एक उल्का ने गिर बताया हैं मुझे
एक रहस्य से अवगत कराया है मुझे
चपल दामिनी ने तारो को मेरा चित्र भिजवाया है
कुछ तारों का तो मन भी मचल आया है






अब बरखा रानी परिणय सन्देश लाने वाली है
ये जान नयनों की सरिता कहाँ थमने वाली है,
जब फाख्ता आँगन पर बैठ ...
अपनी सखी से मेरी कथा बता रहा था
पास क्यारी में भंवरा मिलन गीत गा रहा था








एक पतंगे को बस मुझ पे तरस आया हैं
उसके पंखो पे सन्देश लिख भिजवाया है
अब जों देर की तो बड़ा पछताओगे
मेरे बिना तो अधूरे ही कहलाओगे

ओ मेरे मानसून! अब आने में देर ना कर
वरना
कोई तारा हमें ब्याह ले जायेगा
तू बैठा हाथ मलता रह जाएगा




प्रिया





28 comments:

अनिल कान्त said...

:)

pyari si rachna

bhai ab to mansoon ko aana hi hoga

रश्मि प्रभा... said...

अरे ओ मॉनसून .... कह दिया है दिल खोलकर देर ना करो, गोरी के पैरों में बूंदों की पाजेब डाल ही दो

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

ठंडी फुहार जैसी कविता....मानो मौसम खुशनुमा हो गया हो....सुन्दर

Vinay Kumar Vaidya said...

उम्मीद है मॉनसून तक आपका गीत ज़रूर पहुँचेगा ।
Wish you happy monsoon soon !

Vandana Singh said...

o trrii ....kya baaat hai kyyaaa baat hai ...abbe ye mansoon sachi me inna pyaara hota hai to ab to main isko kidnap kavra k hi rahoongi ....kyoki ese raaji me to manega nahi re pic se to bilkul kaam tamaam apna :((....:-)

bahut khoooob soorat si halki fulki najuk si magar vajandaar kavitaa ....too good :)

सम्वेदना के स्वर said...

लखनऊ क्या हर जगह गर्मी का आतंक बिखरा है..लेकिन आपकी कविता की फुहार ने भिगो के रख दिया... नई उपमाओं के साथ एक नव ललना की भावनाओं की कोमल प्रस्तुति... सबसे खूबसूरत मुझे बादलों का फ्लैश चमका कर तस्वीर खींचना लगा...

Dev said...

bahut behtreen rachna .......aapki kavita se lucknow ke waadiyon mein thnadi lahar chal gayi hogi ....

दिगम्बर नासवा said...

पूरे देश का यही हाल है .. अब तो आ जा .. राहत दिला जा ...

सुरेन्द्र "मुल्हिद" said...

Hello Priya Ji,
I hope you are doing well!
Monsoon ka North India mein bura haal hai...kab se taras rahey hain...shaayd aapka ye lekh padh kai ishwar ko hum par kuch taras aa jaaye aur meghraaj ko aadesh mein LKO aur GGN mein barasne ka!

Achhi lagi aapki ye rachna!

Dr. Zakir Ali Rajnish said...

हर दिल के हाल को आपने सलीके से बयाँ कर दिया। शुक्रिया और बधाई दोनों।
---------
इंसानों से बेहतर चिम्पांजी?
क्या आप इन्हें पहचानते हैं?

Reetika said...

khushgawar si rachna!

डॉ .अनुराग said...

कुछ टुकड़े जिंदगीके लगते है ......हर टुकड़ा अपने आप में एक कहानी कहता है...जुदा जुदा कहानी ....जो सच्ची है

रचना दीक्षित said...

अच्छा लगा ये मुहब्बत का पैगाम और अंदाज़े बयां

Rohit Singh said...

झूम झूम के पवन चल रही है। आज सुना है कि लखनऊ में मॉनसून आने वाला है। कहीं ब्याह तो नहीं हो गया न। लखनऊ के बाद ही उसने दिल्ली आना है। सो आप भी मॉनसून का इंतजार कर लें....ब्याह की जल्दी न करें.....क्योंकी एक बार ब्याह हो गया तो मॉनसून मायूस होके चला न जाए या फिर दहाड़ मारकर कहीं और किसी और देस में न बरस पड़े।

Anonymous said...

हम सबको है इंतजार।
---------
क्या आप बता सकते हैं कि इंसान और साँप में कौन ज़्यादा ज़हरीला होता है?
अगर हाँ, तो फिर चले आइए रहस्य और रोमाँच से भरी एक नवीन दुनिया में आपका स्वागत है।

ZEAL said...

Muskuraiye ki aap lucknow main hain..

richa said...

मॉनसून की पहली दस्तक मुबारक हो... वैसे अभी तक शादी का न्योता नहीं मिला हमें... लगता है तारे मियां का प्रपोसल एक्सेप्ट नहीं हुआ... आ ही गया आपका मॉनसून... अब ख़ुशियाँ मनाइए :)

जयंत - समर शेष said...

सुन्दर...
आपका जीवन प्रसन्नता की बारिश से भींगा रहे...

जयंत

Rajendra Swarnkar : राजेन्द्र स्वर्णकार said...

प्रियाजी
शायद पहली बार ही आया हूं आपके यहां , अच्छा लगा ।
ओ मेरे मानसून !
सचमुच राहत देने वाली कविता है … बधाई !
आपके नाम से मानसून को आपकी कविता भेज रहा हूं , हमारी तो नहीं सुन रहा …

मेहरबानी हो गई तो आपका इनआम पूरा बारिश से भीगता चौमासा … … …

सुंदर रचना के लिए पुनः आभार !

- राजेन्द्र स्वर्णकार
शस्वरं

मुकेश कुमार सिन्हा said...

main bhi pahli baar pahucha......aur aapke likhne ke style ne follow karne ko majboor kiya...

upma shbdo ka itna sundar chayan.......lajabab!!

god bless!!

Anonymous said...

bahut khoob...kis khoobi se aapne mausam ka haal bayan kiya..sach me hazaron dilon ke tammanao ka bahut hi khoobsurat andaz me ubhara hai...excellent...Raja

हरकीरत ' हीर' said...

अब तक तो मानसून को आ जाना चाहिए था प्रिया जी .......आया या नहीं ......????

हमारे यहाँ मार्च से लगातार बारिश हो रही है ....कोई दिन सूखा नहीं गया .....!!

राजकुमार सोनी said...

आप बेहतर लिखती है.. मां सरस्वती की कृपा आप पर बनी रही . शुभकामनाएं

Pankaj Upadhyay (पंकज उपाध्याय) said...

मुम्बई से दो चार को हम फ़ूक मार देते है... देर सबेर यहा से वहा तो पहुच ही जायेगे..

वाणी गीत said...

बादल , बिजली , तारों , पतंगों का भी जी ललचाया
मानसून का ऐसा इन्तजार ...
कब तक ना आएगा ...
सुन्दर तस्वीरें ...सुन्दर गीत

VIVEK VK JAIN said...

o mere mansoo!.....tu baith hath malta rah jayega.
sundat rachna.....sundar abhivyakti.

सुरेन्द्र "मुल्हिद" said...

main dua karunga ki monsoon aaye aapke dar pe bhi.

Narendra Vyas said...

बहुत ही सुन्दर मानवीयकरण किया है आपने..नए-नए प्रतीकों और बिम्बों से शिल्प निखर गया है....बहुत बहुत बधाई इतनी सुन्दर रचना के लिए !