Monday, January 18, 2010

जिंदगी-रफ़्तार


ये तेज़ रफ़्तार जिंदगी
गर ठहरी है
तो और भी तेज़
रोजमर्रा का स्ट्रेस फेक्टर हो जैसे



ऐसे कई अजनबी
आते है करीब
चलते है साथ
हमख्याल हो न हो
हमकदम हो जैसे



सड़क किनारे बैठे तोते वाले ज्योतिषी ने बताया
Short Time Relationship का योग है
व्यक्ति का नहीं ग्रहों का दोष है
जैसे मिले थे वैसे ही बिछड़ जायेंगे




मन में सोचा ग्रहों को दोष देता है
वक़्त की डिमांड और
इंसानी फितरत को
तोते से तोलता है



शुक्र है उन सोशल websites का
जो जरिया बनी है नजदीकियों के एहसास का



Personal हो या Professional
exchange factor matter करता है
cute and neutral रवैया
हर ज़गह काम करता है



कुछ लोग बेवजह ही ping करते है
बेमतलब Hey, Hi, Hello करते है
मैं नहीं कहती - लोग कहते है
ऐसे लोग काम कम करते है
free इन्टरनेट usage में विश्वास करते है



कुछ दिल के रिश्ते
बनने से पहले ही टूट जाते है
डेटिंग की नौबत आने तक
जेंडर बदल जाते है


कोई कुछ भी कहे
रिश्ते चल रहे है
निभाए जा रहे है
Electronic युग में
Technically बनाये जा रहे है


इन सबके साथ
कदमताल करती
पता नहीं - न जाने क्यों
मै ये सोचू ------
मैं इंसानों से मिलती हूँ
या मौसमो से




15 comments:

aarya said...

सादर वन्दे
हाँ आज हर रिश्ते इस वेवजह के जीवन कि आपाधापी में कुछ दूर चलकर दम तोड़ रहे हैं. हम इनसे बचें कि इन्हें बचाए, सवाल बस यही है.
रत्नेश त्रिपाठी

डिम्पल मल्होत्रा said...

short tym relationship,griho ka dosh,bematlab ping,mosam hai ik din to badlega.hindi yugam me apki aaj tak ki sabse achhi poem padhi.thanx 4 link

अजय कुमार said...

मन की वेदनाओं का अच्छा चित्रण , अच्छी अभिव्यक्ति

अनिल कान्त said...

इस बार तो आपने आज के इस युग में रिश्तों की उधेड़बुन का अच्छा किस्सा बयाँ किया है
मानना पड़ेगा !

दिगम्बर नासवा said...

आज कल इंसान और मौसम में क्या फ़र्क रह गया है .......... बदलते रहते हैं पल पल .............
नये आयाम खोलती है आपकी यह कविता .......... बहुत ही लाजवाब है ........

रश्मि प्रभा... said...

मौसम भी तो पहले जैसे नहीं रहे.......बहुत ही बढ़िया

Vandana Singh said...

very nic dear ......aajkal riste nibhaye bhi tecnically hi jaate hai ..:)...kafi bhaavpoorn raachna hai ..:)

richa said...

technology के इस युग में रिश्ते-नाते, यारी-दोस्ती सब hi-tech हो गए हैं... वैसे देखा जाये तो एक शुक्रिया कहना तो बनता है internet और इन social websites को... भले ही बेवजह hey, hi, hello हो रही है पर इसी बहाने रिश्ते तो बने हुए हैं... अब भला सोचो ये technology और internet ना होते तो ये ब्लॉग भी ना होता और हम सब आपस में यूँ जुड़े ना होते एक बड़े से परिवार की तरह... इनमे से शायद चंद ही लोगों से कभी रु-ब-रु हो पाते अगर मौका मिलता तो या शायद वो भी नहीं... अब हर चीज़ की तरह इस technology के भी अपने फायदे और नुक्सान हैं... इन तमाम मौसमों की तरह बदलते रिश्तों में से हमें किसे चुनना है और किसे बस यूँ ही hey, hi, hello कह के आगे बढ़ जाना है ये हमारी समझ पे निर्भर करता है...

Dr. Zakir Ali Rajnish said...

गजब की सोच है आपकी, सचमुच लाजवाब कर दिया आपने।
बधाई तो स्वीकारनी ही पडेगी।
--------
औरतों के दाढ़ी-मूछें उग आएं तो..?
ज्योतिष के सच को तार-तार करता एक ज्योतिषाचार्य।

अलीम आज़मी said...

bahut umda soch hai aapki ....bas aise hi apne jama kiye alfaazo ko ham log ke saamne pesh karte rahiye taki kuch hume knowledge mil sake

सूर्य गोयल said...

बहुत खूब लिखा है आपने. वाकई जिन्दगी में कई अजनबी आते और जाते है. सटीक शब्दों का अच्छा प्रयोग किया है. बधाई स्वीकार करे. फर्क मात्र इतना है की मै ऐसे ही शब्दों से गुफ्तगू करता हूँ और आप कविता लिखती है. आपका भी मेरी गुफ्तगू में स्वागत है. www.gooftgu.blogspot.com

रचना दीक्षित said...

क्या बात है एकदम नये तरीके की कविता आज के युग और उसके लोगों के विचारों से मेल खाती और उन्हें उजागर करती बहुत बहुत बधाई

जयंत - समर शेष said...

Social websites... sach kahaa hai. :))
Achchhi rachanaa hai.

M VERMA said...

नए कलेवर के लिये, नए प्रयोग के लिये और भावपूर्ण कविता के लिये बधाई

rajiv said...

Hey , hai, Hello ye be vajah nahi kuch bhi kah lo
Grah nahi Tota nahi
ajnabiyon se yun hi mel hota nahi
bhala sa koi mil jaye to is tarah koi khota nahi :)