Saturday, January 9, 2010

बस यूँ ही टेंस हो जाया करती हूँ

आदाब! खुशामदीद! खैरमकदम! आप सभी का ........उत्तर भारत में इस कड़ाके की सर्दी में अगर गर्मजोशी से स्वागत नहीं किया तो क्या किया ब्लोवेर में हाथ गर्म कर, दोनों हथेलियों को आपस में रगड़ कर और साथ में फूं -फूं कर हाथ इस लायक तो हो चुके है कि keyboard पर डांस कर सके तो हम तैयार है अपने एक अंदाज़ से आपको मिलवाने shhhhhhhhhhhh...... Top Secret हैं Disclose मत करियेगा किसी से :-)




लोग कहते हैं
बहुत शांत हूँ मै
लेकिन
पता है मुझे
गुस्सा रहता है
मेरी नाक पर


सब पर नहीं गुस्साती
उन्ही से रूठी हूँ अब तक
जिन्हें कुदरत ने दिया है
या फिर उनसे ,
जिन्हें
मैंने भीड़ से चुना है



कई बार लगता है
हम सब समझते हैं
एक दूजे को
अच्छी तरह से
या फिर
थोड़ी नासमझी
के साथ




कुछ पल
या फिर
एक दो दिन
तक होती है नाराज़गी



बहुत बार बोला है----
आगे से नहीं करूंगी
"सॉरी "
कई बार नहीं भी कहती
मेरी हर हरकत से वाकिफ हैं
वो सारे
और मैं उनके हर अंदाज़ से




ये Ego का कांसेप्ट भी
आता - जाता रहता है
कोई भी पहल कर
दफ़न करता है
अपना अहम्
और मामला रफा -दफा



बरसती है
प्यार की फुहार
रिश्तो पर
और गुस्सा
छूमंतर




सोचती हूँ
जिंदगी इसी तरह
चलती रहे तो बेहतर है
एक mutal understading
अपने आप बन गई




विश्वास , प्रेम ,
ईमानदारी अभिमान,
मान ,सम्मान
आत्मसम्मान
स्वाभिमान
हक और फ़र्ज़
सारे तत्व संतुलित है
सलामत है
कोई डिफेक्ट नहीं



फिर शिकायत क्यों ?
कोई शिकायत नहीं
सब ठीक- ठाक ही चल रहा है



मैं भी
बेबात - बेवजह
बस यूँ ही
टेंस हो जाया
करती हूँ


22 comments:

दिगम्बर नासवा said...

बहुत खूब ......... ऐसे लग रहा है जैसे हक़ीकत में जी रहा हूँ .......... आपकी रचना किसी जीवन प्रवाह की तरह बह रही है ...... जीवन के लम्हों से चुराई हुई रचना .......

कुश said...

ज़िंदगी समेट कर रख दी इन शब्दो में.. ऐसे ही कई किरदार अपने आस पास मिल जाते है.. बहुत खूब

नीरज गोस्वामी said...

बहुत ही अच्छी रचना...वाह...
नीरज

vedvyathit said...

jb hath thithurte hain
tb mn ke alaavon me
dil bhi to jlte hain

ye aag to dhimi hai
dil aur jlao to
ye dhoop hi sili hai

rishte n jm jayen
dil ko kuchh jlne do
ve grmaht payen
dr.vedvyathit@gmail.com

रश्मि प्रभा... said...

http://www.youtube.com/watch?v=MBWTNV9YPos

ab aur kya kahna

अनिल कान्त said...

Is rachna mein is bheed se chune hue khaas logon ki charcha hai...unse unke aur apne ehsaas ka khasi tasveer kheenchi hai aapne

vandana gupta said...

waah...........bahut hi sundar khyal.

राहुल यादव said...

बहुत खूब

रावेंद्रकुमार रवि said...

"बरसती है
प्यार की फुहार
रिश्तों पर
और
गुस्सा छूमंतर!"

इन पंक्तियों में छुपी है - इस कविता की आत्मा!

ओंठों पर मधु-मुस्कान खिलाती शुभकामनाएँ!
नए वर्ष की नई सुबह में, महके हृदय तुम्हारा!
संयुक्ताक्षर "श्रृ" सही है या "शृ", उर्दू कौन सी भाषा का शब्द है?
संपादक : "सरस पायस"

शोभना चौरे said...

bahut khubsurat khyal .

Vandana Singh said...

oyee bahuuuuuut sunder andaaaaaj hai yaar ...sacchi ....apke andaaj jankar pata chala k ham bhi kuch kuch aap k jaise hi hai heehhhehe ..very nic dear ...GOd bless u ....:)

निर्मला कपिला said...

बहुत सुन्दर रचना है बधाई

रचना दीक्षित said...

वाह हमारी आपकी सबकी जिन्दगी का निचोड़ और वही एक जैसे ही ख्याल

डिम्पल मल्होत्रा said...

blog bahut sunder lag raha hai.kavita pahle ki kavitao se hatkar hai..mutual understanding wali baat achhi lagi.ego ka concept...lakin fir kahna sab theek chal raha hai achha laga.dil ko khush rakhne ko ghalib ye khyaal achha hai...

richa said...

अपनों के साथ ये mutual understanding हमेशा बनी रहे और अहं कभी भी रिश्तों के बीच ना आये यही दुआ है... बाकी ये गुस्सा वुस्सा क्या... अपनों के प्यार कि फुहार है ना उसे शांत कराने के लिये :-)... keep writing and keep smiling... always !!!

महावीर said...

बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति.
महावीर शर्मा

Sudhir (सुधीर) said...

बड़े दिनों बाद चिठ्ठों को पढने बैठा हूँ. बड़ी ही सुन्दर लगी आपकी यह अभिव्यक्ति कुछ पंक्तियाँ तो काफी सहज बन पड़ी हैं जैसे सब पर नहीं गुस्साती और मैं भी बेवजह टेंस हो जाती हूँ वाली. साधू

आशीष खण्डेलवाल (Ashish Khandelwal) said...

Nice creation

Happy Blogging

Udan Tashtari said...

बहुत सुन्दरता से भावों को स्पष्ट रुप से अभिव्यक्त करता शब्द चित्र खींचा है.

मेरा सौभाग्य कि आप मेरे ब्लॉग पर आये और अपने विचार दिये.

आपका स्नेह लिखने का हौसला देता है, बनाये रखें.

हरकीरत ' हीर' said...

अगर सारे तत्व संतुलित हैं ....तो थोड़ी सी मनुहार चल सकती है .....अच्छी रचना ......!!

शरद कोकास said...

अभिव्यक्ति ऐसी ही होनी चाहिये । ठन्ड मुबारक ।

shankar chandraker said...

वाह क्या बात है. तारीफ करने के लिए मेरे पास शब्द नहीं है.