Wednesday, April 8, 2009


मुझे कुछ कहना हैं ............ " हे जिंदगी यह लम्हा फिलहाल जी लेने दे "


आज मेरा ब्लॉग पर पहला दिन हैं, समझ नही आ रहा है क्या लिखू? काफी दिनों से दूसरो को पढ़ती आ रही हूँ दिल ने कहा जो पीछे छूट गया, जो चल रहा हैं और जो आगे आएगा , उसे समेटती चलूँ , क्योकि जिंदगी में ये तकलीफ न रहे की जो माना, जाना, सुना, सोचा, समझा, देखा, सीखा, देखा, अच्छा, बुरा, कुछ कहा, कुछ अनकहा, सुलझा, अनसुलझा , सुनी,अनसुनी, कुछ दिल की और कुछ दिमाग की, विश्वास, रूढियां, परम्पराए, और इन सब को पूर्ण करता तजुर्बा कहीं जिंदगी से यू न फिसल जाए जैसे हाथों से रेत ! बस तभी निर्णय किया कि जो भी जिया हैं, जीना हैं, और जी रही हूँ सबको संकलित कर सकूं।
अगर आगे जाकर कभी कुछ पल पीछे के जीना चाहूं तो जी सकूं वो भी ऐसे जैसे की वर्तमान हो ! अगर ये कर पाई तो उपलब्धियों, अनुप्लाब्धियाँ , हार- जीत, मान - सम्मान , यश- अपयश को तो नही जानती पर इनता जरूर जानती हूँ ..... कि एक सफल जिंदगी जी सकूंगी !

गुलज़ार साहब ने एक नज़्म लिखी हैं ..... जिंदगी पर जो बेइंतहा खूबसूरत हैं ......और मेरे दिल के बेहद करीब .........बस उसी तरह जीना हैं जिंदगी को .... तो लीजिये पेशेखिदमत हैं .... गुलज़ार साहब का उम्दा और सबसे जुदा ..... अंदाज़ उनकी नज़्म के रूप में.....


"Hay Zindagi Yeh Lamha Ji Lene De
Oh Pehle Se Likha Kuch Bhi Nahin
Roz Naya Kucch Likhti Hai Tu
Jo Bhi Likha Hai Dil Se Jiya Hai
Yeh Lamha Filhaal Ji Lene De
Yeh Lamha Filhaal Ji Lene De
Filhaal Filhaal Filhaal

Maasoom Si Hasi Bewaja Hi Kabhi
Hoton Pe Khil Jaati Hai
Anjaan Si Khushi Behti Huvi Kabhi
Saahil Pe Mil Jaati Hai
Yeh Anjaana Sa Darr Ajnabee Hai Magar
Khoobsurat Hai Ji Lene De
Yeh Lamha Filhaal Ji Lene De
Yeh Lamha Filhaal Ji Lene De
Filhaal Filhaal Filhaal

Dil Hi Mein Rehta Hai Aankhon Mein Behtha Hai
Kachcha Sa Ek Khwaab Hai
Lagta Sawal Hai Shayad Jawab Hai
Dil Phir Bhi Betaab Hai
Yeh Sukoon Hai To Hai
Yeh Junoon Hai To Hai
Khoobsurat Hai Ji Lene De
Yeh Lamha Filhaal Ji Lene De
Yeh Lamha Filhaal Ji Lene De
Filhaal Filhaal Filhaal
Pehle Se Likha Kuch Bhi Nahin
Roz Naya Kucch Likhti Hai Tu
Jo Bhi Likha Hai Dil Se Jiya Hai
Yeh Lamha Filhaal Ji Lene De
Yeh Lamha Filhaal Ji Lene दे

.....................................................गुलज़ार


धीरे - धीरे अपनी रचना पोस्ट करती रहूंगी...... आपके सहयोग की आकांशी हूँ। ........ उम्मीद करती हूँ पूरा प्यार, दुलार और समय - समय पर आपकी आलोचना , समालोचना मिलती रहेगी ........ जिसका मुझे इंतज़ार रहेगा........

" प्रिया"

5 comments:

रंजू भाटिया said...

आपका स्वागत है ..खूब लिखे और अच्छा लिखे ..हमें आपके लिखे का इन्तजार है

richa said...

ब्लॉगिंग की दुनिया में तुम्हारा स्वागत है ... उम्मीद करते हैं अब तक जो तुम छोटी छोटी चिटों और इधर उधर के पन्नों से पढ़ कर सुनाया करतीं थी वो सब एक जगह संकलित रूप में पढ़ने को मिलेगा... और बहुत कुछ नया भी... और इस बार जो ये लेखनी शुरू हुई है फिर से, काफी अंतराल के बाद, उसे रुकने मत देना... ढेर सारी शुभकामनाएं !!

Vandana Singh said...

priya bhut acha likha hai sab kuch,
tumahra najariya bhut acccha hai .keep it up

rajiv said...

Thodi philosophy, thoda pyar, thodi roomaniyat thodi masti thodi kasak, aap me kuch baat hai beshak!

Pankaj Upadhyay (पंकज उपाध्याय) said...

कुछ लाईने कही सुनी थी उनमे ’यादो’ को अगर मै ’ज़िन्दगी’ से रिप्लेस कर दू तो मायने कुछ यू बनते है -

"काश ’ज़िन्दगी’ रेत होती,
मुट्ठी से निकल जाती, मै पैरो से उडा देता..."

मेरा मानना है कि किसी नये को समझना है तो सबसे पहले उसकी पहली पोस्ट देखनी चाहिये एकदम कच्ची.. प्योर इनोसेन्स.. बहुत बढिया लिखती हो.. पोस्ट दर पोस्ट अच्छा लिखती रहो, यही कामना है...